असम राइफल की महिला सैनिक एलओसी की चुनौतीपूर्ण ड्यूटी के बाद अब आंतरिक सुरक्षा के मोर्चे की जिम्मेदारी भी लेंगी। इन महिला सैनिकों ने आतंकी रोधी ऑपरेशन और उत्तरी कश्मीर के तंगधार सेक्टर में नशा तस्करी के खिलाफ चलाए गए अभियान में भी अहम भूमिका निभाई है। जिओसी मेजर जनरल एचएस साही ने जानकारी दी कि असम राइफल की बटालियन में राइफल महिलाएं भी शामिल होती हैं। जहां महिला सैनिकों को पुरुष सैनिकों के तर्ज पर लगभग सभी कार्य करने होते है। अब महिला सैनिक को बांदीपोरा और गांदरबल की घाटी के कुछ जिलों के जांच नाकों पर भी तैनात कर दिया गया है।
साथ ही इन महिलाओं को पुरुष सैनिकों के साथ रूटीन चेकिंग और मोबाइल व्हीकल चेक प्वाइंट्स पर भी तैनात किया गया है। यह महिलाएं सभी अन्य महिलाओं के लिए प्रेणा एवं रोल मॉडल बनती जा रही है। कभी कभी ऑपरेशन के दौरान इन्हे महिलाओं की मौजूदगी वाले घरों में दाखिल होकर तलाशी लेनी पड़ती है,जो कार्य इन्होंने बखूबी कर दिखाया है। जीओसी ने यह भी कहना है कि ड्यूटी में महिला सैनिकों के होने से उन्हे बेहतर पेशेवर ढंग से ड्यूटी करने में सहायता प्राप्त होगी। साथ जो युवतियां सेना की वर्दी पहनने का सपना देख रही है, उनके लिए सभी राइफल वुमन एक रोल मॉडल बनेंगी।
वर्धमान में पश्चिम बंगाल की राइफल वुमन रेखा कुमारी ने जानकारी दी कि बंगाल से पहले वह मणिपुर और नगालैंड में भी अपनी ड्यूटी दे चुकी हैं। उन्हे कश्मीर आने से पहले कुछ शंकाएं थीं, जो यहां आने के बाद दूर हो गए और वह देश की सेवा में आई। उन्होंने बताया कि कश्मीर में लोगों को लेकर बहुतों के मन में गलत धारणाएं हैं,वहां के लोगों के बहुत अच्छे है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें स्थानीय लोगों के साथ मानवीय होना होगा ताकि वहां की महिलाएं उन पर अपना भरोसा जता सके।
जम्मू की बेटी गुरसिमरन कौर भी सेना में कैप्टन है। उनके परिवार में उनके दादा एवं पिता और दादा भी सेना में कार्य कर चुके हैं। अब वह तीसरी पीढ़ी की सैन्य अधिकारी है। वह अभी 30 महिला सैनिकों के दल की अगुवाई कर रही है। पिछली बार अगस्त में राइफल वुमन की तैनाती पहली बार एलओसी के पास की गई। वे महिला सैनिक दल भी असम राइफल्स की ही थीं। अब यह दल डेपुटेशन पर उत्तर कश्मीर के तंगधार सेक्टर में भी तैनात है।