अफगानी सेना के कमांडर बिलाल अहमद ने फोटोजर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत का खुलासा करते हुए कहा कि, तालिबानियों ने दानिश को उस समय गोली मारी जब वह कुछ स्थानीय लोगों से बातचीत कर रहे थे। और दानिश के शव को कब्जे में ले लिया दानिश का भारतीय होना का पता चलते ही उन्होंने उसके शव के साथ क्रूरता की और दानिश के सर को गाड़ियों से कुचल दीया। इसका बड़ा कारण यह है कि तालिबानी भारतीयों से नफरत करते हैं।
दानिश की मौत 16 जुलाई को हो गई थी। उनकी मौत का कारण यह बताया जा रहा था कि वह अफगान सेना और तालिबान के बीच हुई झड़प में मारे गए थे। आपको बता दें कि यह घटना तब हुई जब पाकिस्तान से लगे स्पिन बोल्डक के बाजार पर अफगान सेना ने दोबारा कब्जा करने की कोशिश की थी इसी मुठभेड़ में अफगान के एक अधिकारी के साथ दानिश की भी मौत हो गई।
कमांडर बिलाल अहमद पिछले 5 साल से अफगान सेना से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि दानिश की मौत का सबको बेहद दुख है। तालिबानी जानते थे कि वह मर चुका है उसके बाद उन्होंने उसके शव के साथ क्रूरता की गई। तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने दुख जताते हुए कहा कि तालिबानियों को नहीं पता था कि वह एक पत्रकार है। लेकिन तालिबानियों को सच पता होते हुए भी की, दानिश अफ़ग़ान सैनिक नहीं है बल्कि पत्रकार है उसके बाद भी उन्होंने उसके शव के साथ क्रूरता की।विशेषज्ञों का मानना है कि तालिबान कोई अनुसूचित सेना नहीं है बल्कि वह योद्धा है जो जंग के दौरान किसी भी किस्म के नियमों या अनुशासन का पालन नहीं करते
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