देश का एक और हीरो चला गया..सेना पदक से समानित हवलदार प्रदीप थापा अब हमारे बीच नहीं रहे..

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आज हमने देश के एक पैराएसएफ (Para SF) कमांडो हवलदार प्रदीप थापा सर को खो दिया। उन्हें सेना पदक पुरुष्कार से भी नवाजा गया था। दरअसल एक पैरा जम्प के दौरान प्रदीप थापा सर लकवाग्रस्त हो गये थे। जम्प के दौरान जब उन्होंने पैराशूट खोला तो उसके खुलने के झटके से प्रदीप थापा सुर की रीढ़ की हड्डी टूट गयी। जिसके कारण उनके शरीर के नीचा का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। रीढ़ की हड्डी टूटने से उनके शरीर पर इतना बुरा प्रभाव पड़ा कि वे अपने हाथों का भी इस्तेमाल ढंग से नहीं कर पाते थे।

घटना के बाद उन्हें दिल्ली के बेस अस्पताल में 17 जुलाई 2015 को भर्ती करवाया गया। आखिरकार 2 मई 2018 को उन्हें सेवाओं से मुक्त कर रिटायर कर दिया गया। लेकिन रिटायर होने के ठीक 3 साल बाद आज वह चल बसे। उनके ऊपर उनके पूरे परिवार की जिमेदारी थी। क्योंकि वह परिवार में कमाई के इकलौते माध्यम थे।

हवलदार प्रदीप थापा का जन्म 15 अगस्त 1978 को स्वतंत्रता दिवस के दिन हुआ था। वह सेना के गैलेंट्री अवार्ड से भी सम्मानित थे। अगस्त 1997 में प्रदीप थापा सेना में भर्ती हुए थे। लेकिन Para SF में शामिल होने का उनका असली लक्ष्य अभी बाकी था। अपनी मेहनत से वह अक्टूबर 1998 में 9 पैराएसएफ में शामिल हुए। बाद में हवलदार प्रदीप थापा को देश के कुलीन ब्लैक कैट कमांडो यूनिट में तैनात किया गया। इस यूनिट ने मुम्बई को 26/11 आतंकी हमले से बचाया था।

इसके बाद मानेसर में इस यूनिट की फ्री फॉल बेसिक और रिफ्रेशर संयुक्त ट्रेनिंग चली। इस दौरान उन्हें पैरा जम्प करना उनकी ट्रेनिंग का एक हिस्सा था। जब हवलदार प्रदीप थापा की बारी आई तो उन्होंने भी जम्प की। पैराशूट खोलते समय वह इतनी तेज खुला कि उसके झटके से प्रदीप थापा की रीढ़ की हड्डी टूट गयी। इलाज के लिये उन्हें अस्पताल भेजा गया लेकिन उनके शरीर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। उन्हें 2 मई 2018 को सेना से रिटायर कर दिया गया।

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