आपको बता दें कि CRPF के सहायक कमांडेंट या ग्राउंड कमांडेंट भले ही नक्सलियों वह आतंकियों से निपटने में, राष्ट्रीय आपदा में,चुनाव व क़ानून व्यवस्था में सबसे ऊपर पर रहते हैं लेकिन वह तरक़्क़ी के मोर्चे पर पिछड़ते जा रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि इन कमांडेंट्स की कैडर समीक्षा प्रक्रिया को लेकर ना तों गृह मंत्रालय गंभीर है न ही बल मुख्यालय। आपको बता दें कि फ़रवरी में DOPT द्वारा कैडर समीक्षा प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया था। इसकी रिपोर्ट कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी एमएचए द्वारा जून में DOPT को जमा करवानी थी।
इसी बीच CRPF कैडर अधिकारियों का कहना है कि डिप्टी कमांडेंट, सहायक कमांडेंट और सैकेंड इन कमांडेंट में प्रमोशन लेना काफ़ी मुश्किल हो गया है। वही सहायक कमांडेंट को पहली प्रमोशन मिलने में 10-12 साल का समय लग रहा है। अगर यह सब ऐसे ही चलता रहा तो उन्हें कमांडेंट बढ़ने में 25 साल का समय लग जाएगा। 30 सितंबर को बल मुख्यालय में होने जा रही समीक्षा बैठक पर सभी कैडर अफ़सरों की नज़रें रहेंगी।
आपको बता दें कि पहले तकनीकी स्पेशल DG संजय अरोड़ा को इस कमेटी कार चेयरमैन बनाया गया था। पिछले कुछ दिनों में उनकी पोस्टिंग DG ITBP के पद पर हो गई थी। इसके बाद नितिन अग्रवाल को कैडर रिव्यू कमेटी ऑफ़ ग्रुप एंड एग्जीक्यूटिव ऑफिसर्स का चेयरमैन बनाया गया था। आपको बता दें कि 15 दिसंबर 2015 को कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी ने CRPF के एक कैडर रिव्यू को लेकर बैठक की थी। उसके बाद 29 जून 2016 को कैडर रिव्यू को मंज़ूरी दी गई थी।
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा प्रमोशन से जुड़े मामले में आदेश दिया गया था की CRPF में कैडर समीक्षा की कार्रवाई 30 जून तक पूरी कर ली जाए। उसके बाद भी इस विषय में गृह मंत्रालय और CRPF मुख्यालय द्वारा कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई थी।
READ ALSO: जॉगिंग करने के बहाने GF से मिलने पहुंचा पति, अचानक कैमरा लेकर पहुंच गई पत्नी और फिर….