जैसे कि हम सब जानते हैं 2 दिन पहले पूरे भारत देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। जिस के अवसर पर हर साल लाल किले में प्रधानमंत्री द्वारा झंडा फहराया जाता है और देश के वीर जवानों को याद किया जाता है। आज हम आपको ऐसे ही वीर सैनिक के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में हिस्सा लेकर घुसपैठियों के सिर धड़ से अलग कर दिए थे। और युद्ध को जीतने के लिए उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले बकूल रावत 1994 में भारतीय सेना के 18 गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए। भारतीय सेना का हिस्सा बनने के बाद बकूल रावत की पहली पोस्टिंग कलकत्ता मैं हुई उसके बाद उनकी पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में रही। जम्मू कश्मीर के कूपवाडा लोली वैली का जिम्मा बकूल ने ही संभाला। इस जगह 3 साल बिताने के बाद बकूल की पोस्टिंग अन्य जगह होनी थी लेकिन तब तक कारगिल का युद्ध छिड़ गया।करगिल युद्ध के दौरान सीमा पर घुसपैठियों ने टोलोलिंग और 4700 की पहाडियों पर चोरी छिपे अपना डेरा लगा लिया. जिसके बाद सीओ के निर्देशों पर बकूल रावत और पूरी 18 गढ़वाल राईफल की बटैलियन को दुश्मनो से लड़ने के लिए रवाना किया गया।
बकुल ने बताया कि इस लड़ाई में उनके कंधों पर खान-पान की चीजों की जगह हथियार होते थे। कई दिनों तक बिना खाए पिए वह केवल कारगिल युद्ध को फतह करने का संघर्ष करते रहे। जिसके बाद उन्होंने कई आतंकवादियों को मार गिराया। जबकि चार आतंकियों के सिर धड़ से अलग कर वह अपने कैंप ले आए। इसके लिए उन्हें या उनकी पूरी बटालियन को कोई भी मेडल नहीं मिला। इस युद्ध के दौरान कहीं जवान शहीद हो गए थे। ALSO READ THIS:चिकन उबालने के लिए पानी चढ़ाया, उसी पानी में उबलती मिली खुद की बच्ची….
बकूल की साल 1999 में सगाई हो गई थी और इसी दौरान कारगिल का युद्ध छिड़ गया था। बकूल की पत्नी बताती है कि कि वह उनके लिए काफी कठिन समय था। क्योंकि उस समय कोई भी फोन नहीं हुआ करते थे और उन्हें युद्ध से जुड़ी जानकारी नहीं मिल पा रही थी। हालांकि युद्ध खत्म होने के बाद जब वह घर आए तो उन्होंने शादी कर ली।ऐसे ही कई सैनिकों की बदौलत आज हमारा देश सुरक्षित है और हम खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं।