नई दिल्ली:- ये तो सभी जानते है कि यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन एग्जाम को सबसे मुश्किल एग्जाम कहते है। इस एक्सम को पास करने के बाद ही आईपीएस, आईईएस या आईएफएस अधिकारी को चुना जाता है। इन सभी अधिकारियों का काम और भूमिकाएं अलग होती है। चलिए आपको आईएएस और आईपीएस मे क्या फर्क होता है और कौन ज्यादा ताकतवर होता है।
आईएएस और आईपीएस को कैसे चुनते है? यूपीएससी मेंन एग्जाम के रिजल्ट के बाद व्यक्ति को एक डिटेल एप्लिकेशन फॉर्म फिल करना होता है। उसके बाद उसका एक पर्सनैलिटी टेस्ट होता है। फॉर्म मे भरी गई जानकारी के बेस पर उसका इंटरव्यू होता है जिसमे सवाल पूछते है। इंटरव्यू मे मिले नंबर को जोड़कर मेरिट लिस्ट बनाई जाती है। इसी के आधार पर आल इंडिया रैंक चुनते है। फिर अलग अलग केटेगरी की रैंकिंग तैयार की जाती है, जैसे ( जनरल, SC, ST, OBC, EWS) फिर उसी के आधार पर आईएएस, आईपीएस या आईएफएस पर उनको नंबर मिलते है। जो सबसे टॉप पर होते है उनको आईएएस की नौकरी मिलती है। कई बार टॉप रैंक वाले IPS और IRS की नौकरी की मांग करते है तो उनको लास्ट की रैंक वालो को IAS की पोस्ट मिल सकती है। सबसे आखिरी वाले रैंक को आईपीएस और आईएफएफ की नौकरी मिलती है।
आईएएस और आईपीएस की कैसे होती है ट्रेनिंग? मसूरी मे लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन मे फाउंडेशन कोर्स से आईएएस और आईपीएस से ट्रेनिंग होती है। जिसमे चुने गए कैंडिडेट को तीन महीने की ट्रेनिंग दी जाती है। इस कोर्स मे एडमिनिस्ट्रेटिव स्कील सिखाते है जो सिविल सेवा के अधिकारियों के लिए जरूरी होता है। एकेडमी के अंदर कुछ ऐसी एक्टिविटीज भी होती है जो मेंटली और फिजिकली ताकतवर बनाते है।
इसके अलावा अधिकारियों के लिए इंडिया डे मनाया जाता है, जिसमे सभी को अपने राज्य की संस्कृति के बारे मे बताना होता है। इसमे सिविस सेवा अधिकारी ड्रेस, लोक डांस, और खाने को लेकर देश की “विविधता को एकता” मे दिखाते है। सिविस सेवा मे एक विलेज ट्रेनिंग भी होती है, जिसमे सभी अफसरों को सुदूर गांव मे 7 दिन के लिए रहना होता है। ताकि वह ज़िंदगी के हर पहलू को समझ सके और गांव की परेशानियों को देख सके।
3 महीने के बाद कैंडिडेट को अलग अलग ट्रेनिंग मिलती है- आईएएस अफसर और आईपीएस की ट्रेनिंग काफी अलग होती है। इसमे 3 महीने की फाउंडेशन ट्रेनिंग के बाद आईपीएस के अधिकारियों को हैदराबाद मे सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी मे भेज देते है। जहां उनको पुलिस की ट्रैनिग करते है। आईपीएस के कैंडिडेट चुनने के बाद ज्यादा कठिन ट्रेनिंग होती है। इस ट्रेनिंग मे घुड़सवारी, परेड और हथियार चलाना सीखते है। इसके बाद आईएएस के अधिकारी की पेशे संबंधी ट्रेनिंग शुरु जो जाती है और इसमे एडमिनिस्ट्रेशन और गवर्नेंस के सभी सेक्टर के बारे मे बताया जाता है।
आईएएस और आईपीएस की क्या जिम्मेदारियां होती है? आईएएस आशिकारियों की जिम्मेदारी मे एक राज्य / जिला / विभाग का प्रशासन होता है। उन्हे अपनी पोस्ट से सम्बन्धित राज्यों का विकास करने और अधिनियम को लागू करना और जरूरी फैसले लेने के लिए कहा जाता है। वही आईपीएस के अधिकारियों को कानून के बारे मे जाँच करनी होती है। जहाँ पर वह रहते है, वहाँ उनको कानून व्यवस्था को बनाएं रखना होता है। आईएएस अफसर का कोई भी ड्रेस नही होती वह फॉर्मल ड्रेस मे रहते है। लेकिन आईपीएस अधिकारी अपनी ड्यूटी के समय वर्दी पहनते है। आईएएस अधिकारी को बॉडीगार्ड मिलते है। वही आईपीएस अधिकारी के साथ पुलिस फोर्स चलती है।
आईपीएस और आईएएस मे ज्यादा ताकतवर कौन होता है? आईपीएस और आईएएस की जिम्मेदारियां और शक्तियां अलग होती है। आईएएस के अफसरों को कार्मिक और ट्रेनिंग विभाग व कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय प्रतिबंधित करती है। लेकिन ग्रह मंत्रालय आईपीएस कैडर को प्रतिबंधित करती है। आईएएस अधिकारी की सैलरी आईपीएस अधिकारी की सैलरी से ज्यादा होती है। एक राज्य मे केवल एक आईएएस अधिकारी होता है। वही एक राज्य मे आईपीएस अधिकारी बेहद होते है। आईएएस अधिकारी की सैलरी और अधिकार के मामले आईपीएस अधिकारी से ज्यादा होता है।
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