छत्रसाल स्टेडियम में हुई हत्या के आरोप में सुशील कुमार गिरफ्तार है। उनकी परेशानियां दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। सबसे पहले उनकी रेलवे की नौकरी छिन गई। अब उनके पद्मश्री अवॉर्ड पर भी खतरा मंडरा रहा है। पद्मश्री अवॉर्ड स्कीम के अनुसार राष्ट्रपति के पास अधिकार है कि वह पुरुष्कार वापस ले सकते हैं। हालांकि राष्ट्रपति के पास बाद में पुरुष्कार को वापस लौटाने का भी अधिकार है।
सुशील कुमार को राष्ट्रपति ने साल 2011 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया था। केवल हत्या की चार्जशीट दाखिल होने पर भी यदि राष्ट्रपति से अवॉर्ड वापस लेने की सिफारिश जाए तो वह चार्जशीट के आधार पर भी पद्मश्री रद्द कर सकते हैं। लेकिन अगर सुशील इस हत्याकांड में बरी होते हैं तो राष्ट्रपति अवॉर्ड वापस लेने के फैसले को पलट सकते हैं।
साल 2015 में दिल्ली सरकार ने सुशील को डेप्युटेशन का पद दिया था। उनका कार्यकाल सरकार ने 2020 तक बढ़ा दिया था। लेकिन सुशील चाहते थे कि कार्यकाल को 2021 तक बढ़ाया जाए। हालांकि सरकार ने उनके नौकरी बढ़ाने के आवेदन को खारिज कर दिया था। सुशील कुमार एक बेहतरीन रेसलर है जिन्होंने साल 2008 के ओलंपिक में ब्रोंज़ और 2012 में सिल्वर मेडल जीता था। कॉमनवेल्थ गेम्स में भी उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है। जिसके चलते सुशील को अर्जुन अवॉर्ड और राजीव गांधी खेल रत्न से भी नवाजा गया।
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