बम धमाके में 13 सैनिकों समेत 50 लोगो की मौत, लांसो के ढेर में तब्दील हुआ पूरा एयरपोर्ट…देखिए

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13 American soldiers killed in blast at Kabul airport, US President had expressed fear of attack

आपको बता दे कि गुरुवार को काबुल में हुए दो बड़े धमाकों में अमेरिका के करीब 13 सैनिक मारे गए हैं। इस बात की पुष्टि अमेरिका अधिकारियों द्वारा की गई है। मरने वाले सैनिकों में 12 मरीन और एक नेवी का सैनिक है। इसी के साथ 15 सैनिक घायल हुए हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन सिचुएशन रूम में हालात पर नजर रखे हुए हैं। बदलते हालात को देखते हुए अमेरिका अफगानिस्तान में अपनी रणनीतियों पर बड़ा फैसला भी ले सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा कि हम आतंकियों को माफ नहीं करेंगे, उन्हें खोजा जाएगा और इसकी सजा मिलेगी।

शुरू में कहा गया था कि इस धमाके में कुल 13 लोगों की मौत हुई है लेकिन बाद में यह संख्या बढ़कर 60 हो गई। यह दो हमने काबुल एयरपोर्ट के बाहर हुए हैं। पहला हमला बैरन होटल के पास एब्‍बी गेट पर हुआ दूसरा मेन गेट पर हुआ। आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने इसकी जिम्मेदारी ली है।अमेरिकी राष्ट्रपति जो वाइडन काबुल एयरपोर्ट में खुद से कम से कम 2 बार धमाके का अलर्ट चुके हैं। 20 अगस्त को उन्होंने कहा था कि हम हवाई अड्डे और उसके आसपास आतंकवादी खतरे पर नजर रखे हुए हैं।इसमें अफगानिस्तान में आईएसआईएस सहयोगी शामिल हैं, जो जेलों को तोड़ने के बाद बाहर निकले हैं।

एक न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक धमाके में कई लोगों की मौत हो गई है। एयरपोर्ट के बाहर इंतजार कर ए आदम खान ने बताया कि ब्लास्ट उस भीड़भाड़ वाले इलाके में हुआ जहां लोग एयरपोर्ट में घुसने के लिए इंतजार कर रहे थे। खान के मुताबिक वह धमाके वाली जगह से केवल 30 मीटर की दूरी पर खड़े थे। इसमें कई लोग मारे गए हैं और कई लोग घायल हुए हैं। घटना के वक्त एयरपोर्ट के बाहर हजारों की संख्या में अफगान नागरिक मौजूद थे। ऐसे में घायलो की संख्या काफी बढ़ सकती है।तालिबान ने कुछ दिन पहले ही काबुल एयरपोर्ट के बाहर आईएसआईएस के चार आतंकियों को पकड़ा था। इसी बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने पुख्ता जानकारी दी थी कि एयरपोर्ट के बाहर आईएसआईएस के आतंकी कभी भी हमला कर सकते हैं। ALSO READ THIS:चमोली: सोशल मीडिया पर वायरल हो रही महिलाओं की खून भरी लड़ाई, एक ने दूसरी औरत को बेरहमी से पीटा….

तालिबान के प्रवक्ता जबिउल्लाह मुजाहिद ने एक दिन पहले ही दावा किया था कि अफगानिस्तान की धरती से इस्लामिक स्टेट का सफाया कर दिया गया है। तालिबान ने तो साफ-साफ कह दिया था कि वह इस्लामिक स्टेट को अपने देश में पांव पसारने नहीं देगा। ऐसे में माना जा सकता है कि हमले से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि अफगानिस्तान की धरती पर अभी भी एक बड़ी ताकत है। तालिबान का कार्य स्थान में कब्जे के बाद से ही आईएसआईएस चिड़ा हुआ है। इस आतंकी समूह ने अपने समर्थन वाले सोशल मीडिया अकाउंट्स से तालिबान के खिलाफ बड़ा अभियान भी चलाया था। अपने पोस्ट के जरिए आईएसआईएस के ये समर्थक तालिबान की लगातार बुराई कर रहे हैं।

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