शनिवार को कुछ सरकारी कर्मचारियों पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकियों के मदद करने को लेकर बड़ी कार्रवाई की,जिनमे कुल 11 कर्मचारी बर्खास्त किए गए। इन 11 लोगों में सैयद सलाउद्दीन जो कि आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के संस्थापक है,उनके बेटे भी शामिल हैं। सैयद सलाउद्दीन कश्मीर निवासी है जो इस समय पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है। इसके साथ ही वह जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के द्वारा तैयार किया गया संगठन यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का भी हेड है। जानकारी के मुताबिक, ये 11 कर्मचारियों में 1-1 बारामूला,पुलवामा,कुपवाड़ा और श्रीनगर के है,4 अनंतनाग के और 3 बडगाम निवासी है।इन 11 लोगों में 2 पुलिस कॉन्स्टेबल,एक SKIMS, एक बिजली,4 शिक्षा विभाग के,एक स्वास्थ्य विभाग के,एक स्किल डेवलपमेंट और एक एग्रीकल्चर के कर्मचारी हैं।इन सभी पर आतंकियों को अंदरूनी जानकारियां देने का आरोप लगा है। इनमें से आठ कर्मचारियों को बर्खास्त करने की सिफारिश जम्मू-कश्मीर में प्रशासन से जुड़े मामलों की जांच के लिए बनाई समिति ने अपनी तीसरी और चौथी बैठक में किया।आगे पड़िए..
इन आठ कर्मचारियों में से 2 कॉन्स्टेबल हैं,वे आतंकियों को जानकारी के साथ साथ रसद भी देते थे।इनमे से एक कांस्टेबल अब्दुल राशिद शिगन तो सुरक्षाबलों में हुए हमें में भी शामिल था। इसके अलावा हिजबुल चीफ के एक बेटे का एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में कर्मचारी था लेकिन उसपर इंटरनेशनल वायर मनी ट्रांसफर की सहायता से एजाज अहमद भट से फंड लेता था,जिसके संपर्क में भारत से बहुत लोग थे।शाहिद यूसुफ भी उन्ही में से एक था जो मनी ट्रांसफर के लिए कोड का इस्तेमाल करता था।साथ ही आतंकवादी सैयद सलाउद्दीन के दोनो बेटे सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ भी टेरर फंडिंग में शामिल मिले। इन दोनो पर ही NIA की नजर थी। वह यह काम हिजबुल मुजाहिदीन के लिए करते थे। बात करें सलाउद्दीन के दूसरे बेटे सैयद शकील यूसुफ की तो उसे 2018 में उसके घर NIA, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने छापा मारा और उसे गिरफ्तार किया।इसके बाद वह श्रीनगर के किसी सरकारी अस्पताल में लैब टैक्नीशियन के पद पर था।आगे पड़िए..
सूत्रों के मुताबिक उस पर भी 2011 में टेरर फंडिंग के मामले में अपने पिता से पैसे लेने का आरोप लगा है। साथ ही NIA का मानना है कि उसके द्वारा पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर पैसे ट्रांसफर भी किए गए है,जिसका इस्तेमाल आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों में भी किया गया। हिजबुल का मददगार आतंकवाद से जुड़ा हुआ हेल्थ डिपार्टमेंट का सरकारी कर्मचारी का नाम नाज़ एम अल्लाई है,जो स्वास्थ्य विभाग में अर्दली है। बता जा रहा है कि वह आतंकीय गतिविधियों में हिजबुल मुजाहिदीन के ओवरग्राउंड वर्कर के तौर पर शामिल है।वहां टीके कि उसने अपने घर में भी दो बड़े आतंकियों को आसरा दिया था।साथ ही अनंतनाग जिले के दो टीचर भी इन गतिविधियों में शामिल है।यह दुख्तारन-ए-मिल्लत की विचारधारा का समर्थन करते हुए पाए गए और अलगाववादी संगठन जमात-इस्लामी का प्रचार करने जैसी गतिविधियों में पाए।आगे पड़िए..
इसके बाद समिति की चौथी बैठक में तीन अन्य कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया,जिनमे ITI कुपवाड़ा का एक अर्दली भी था।वह लश्कर-ए-तैयबा नामक आतंकी संगठन का ओवरग्राउंड वर्कर था।वह आतंकियों को आसरा दिया करता था इसके साथ ही सुरक्षाबलों की आवाजाही के बारे में भी बताता था। सूत्रों के मुताबिक एक बिजली विभाग का इंस्पेक्टर शाहीन अहमद लोन भी हथियारों की तस्करी और ट्रांसपोर्टेशन का काम करता था।यह काम वह हिजबुल मुजाहिदीन के लिए करता था।पिछले साल जनवरी में वह श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर दो आतंकवादियों के साथ गोला-बारूद ,हथियार और विस्फोटक ले जाने में शामिल था। ALSO READ THIS:PUBG के टॉप अप के लिए 5000 रुपए उधार लिए थे, लौटा नहीं पाया तो पड़ोसी ने अपहरण कर उतार दिया मौत के घाट….
शिक्षा विभाग के दो कर्मचारी निसार अहमद तांत्रे और जब्बार अहमद पारे भी जमात-ए-इस्लामी से जुड़े हैं। वे पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम करते थे। इसके साथ ही शनिवार को सुरक्षाबलों ने भी अनंतनाग में लश्कर के 3 आतंकियों और चोट की और उन्हे मार गिराया।IG विजय कुमार का कहना है कि वे तीनों ही लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। उन्हे आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी रानीपोरा में मिली थी।तब उन्होंने अपने तलाशी अभियान की शुरुआत की।लेकिन इसी दौरान आतंकियों ने उन और गोलियों की बरसात की।जब पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की तो उसमें तीन आतंकवादी ढेर हुए। जिनमे से एक जून 2019 में प्रादेशिक सेना के हवलदार मंजूर बेग की हत्या में मौजूद आतंकी आरिफ हाज़म भी शामिल था।