उत्तराखंड: इस बार लिंगानुपात के मामले में उत्तराखंड में पहले से कई बेहतर हुए है।इस बार इसकी आंकड़े में काफी अच्छी सुधार रही है।उत्तराखंड के कुछ राज्य इसे है जिन्होंने इस मामले में टॉप 50 जिलों में अपनी जगह बनाई है।ओर ये कुछ जिले है अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, बागेश्वर, चंपावत और देहरादून।वहीं उत्तराखंड की स्थिति राज्य के 21 राज्यों से कई बेहतर है। सिर्फ 14 राज्य ही ऐसे है जो इस मुकाबले बहुत कम अंतर से उत्तराखंड से आगे हैं।
वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में महिला-पुरुष लिंगानुपात 938 था। जबकि वर्ष 2018-19 की जनगणना में यह आंकड़ा 949 हो गया था। वैसे तो यह सच खबर है कि उत्तराखंड में यह आंकड़े पहले के मुकाबले बढ़ गए है लेकिन बुरी खबर यह है कि कुछ जिले इसे भी है जहां पहले के मुकाबले इं आंकड़ों में गिरावट देखी गई है।से कुछ जिले कुछ इस प्रकार है-नैनीताल,चमोली और पिथौरागढ़।वर्ष 2018-19 की तुलना में इस बार इं राज्यों के आंकड़े गिर चुके है।इस पर मुख्य सचिव ने चिंता जताई है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश की सोमवार को सचिवालय में बैठक हुई थी।उनका कहना है कि यह बहुत चिंता जनक बात है इसको लेकर उन्हे ज्लद ही कुछ कड़े कदम उठाने होंगे।
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जिलों में मॉनिटरिंग बढ़ानी होगी।इसके साथ साथ गर्भवती महिलाओं की पहली, दूसरी व तीसरी जांच का होना बहुत आवश्यक है साथ ही मदर चाइल्ड मॉनिटरिंग ट्रेकिंग को भी ज्लद ही सक्रिय करना होगा। और यदि किसी का गर्भपात हुआ है तो उसके सभी कारणों की भी जांच की जाएगी।साथ ही मातृ मृत्यु दर को कम किए जाने की कोशिश भी प्रशासन को ज्लद ही करनी होगी।इसलिए उन्होंने वन स्टॉप सेंटर को और सही से कम करने और सक्रिय करने के भी निर्देश दे दिए गए है।
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