कुछ समय से अफगानिस्तान की हालत गंभीर हुई पड़ी है और अब तो वहां के हालात बेकाबू हो रहे है। तालिबान के राज ने वहां मौजूद लोगों को डर कर जीने पर मजबूर कर दिया है। अब कई भारतीय लोग इसी डर से मजबूर होकर जी रहे है। सरकार वहां से अपने देश के वासियों को वापस लाने के बहुत प्रयत्न कर रही है। इन देशवासियों में से काफी लोग उत्तराखंड के निवासी है, इनमे से अधिकतर सेना में पूर्व सैनिक थे जो सेवानिवृत्ति होकर नौकरी की तलाश में अफगानिस्तान गए। मुख्यमंत्री धामी भी अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को वापस लाने की पूरी कोशिश कर रहे है। वहीं कल रविवार को देर रात करीब 60 देहरादून के लोगों को तालिबान के चंगुल से छुड़ाकर अपने देश वापस लाए। सभी के चेहरों पर आजादी की खुशी साफ झलक रही थी। सभी लोग देहरादून निवासी है जो अफगानिस्तान में नौकरी करते थे। इनके परिजनों द्वारा इनका बहुत अच्छे से स्वागत किया गया। रविवार को इन सभी को दिल्ली में फ्लाइट से लाया गया और वहां से बस में बैठकर उन्हे श्यामपुर में एक वैडिंग प्वाइंट में पहुंचाया। वहां सभी लोगों के परिजन उनके स्वागत को तैयार खड़े थे। जैसे ही लोग बस से नीचे उतरने लगे, सभी पर फूलो की वर्षा होने लगी और कई परिजन भावुक भी हो गए। सबकी आंखे तो तब भर आई जब उन्होंने अफगानिस्तान में अपनी हालात बयां करनी शुरू की।
लक्ष्मीपुर के रहने वाले नितेश क्षेत्री ने बताया कि अफगानिस्तान में मौत आम लोगों के आसपास ही घूम रही है। वहां दहशत का माहौल बन चुका है। जिन हालातों से उन्हे कुछ दिन गुजरना पड़ा वह खुद ही जानते है। तीन रातों से वे घास और पत्तल के ऊपर सो रहे है। साथ ही जब से तालिबान ने वहां कब्जा किया है तब से अब तक वे लोग नहाए तक नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि डेनमार्क दूतावास के अधिकारियों ने वहां से निकलने में उनकी मदद की है। स्कॉट के माध्यम से उनको एक होटल लाया गया।
वहीं अमेरिकी सेना और अफगानिस्तान के नाटो के साथ पिछले 12 वर्षों से काम कर रहे प्रेमनगर के रहने वाले अजय छेत्री ने बताया कि उन्होंने और कुछ साथियों ने मिलकर जान बचाने के लिए तालिबानियों को 60 हजार डॉलर दिए हैं। यदि उन्होंने तालिबानियों को यह नही दिए होते तो इस समय वे जिंदा नहीं होते। उन्होंने बताया कि उनके दोस्त और उनके दोस्त और उनकी कंपनी के कई लोगों को तालिबानियों ने रिहा करने के लिए 60 हजार अमेरिकन डॉलर की मांग की। सभी लोगों ने अपनी जिंदगी बचाने के लिए लोगों से पैसा इकट्ठा कर तालिबानी लोगों को पैसे दिए। तब जाकर तालिबानियों ने उन लोगों को एयरपोर्ट तक छोड़ा।
इनके अलावा एक पूर्व सैनिक रण बहादुर ने भी बताया कि वहां जिस तरह से खौफ का माहौल बना हुआ है वह बयां नहीं किया जा सकता। जिस होटल में वे लोग रह रहे थे उन्होंने बताया वहां खुलेआम बाहर गोलीबारी हो रही थी। इसके बाद वे बताते है कि वह भारतीय सेना से हैं इसी कारण उन्हे उस हालात में भी घबराहट महसूस नहीं हुई लेकिन बाकी लोगों में खौफ का माहौल बना हुआ था। बाकियों की हालत देखकर उन्हे भी लगने लगा था कि वे अगले दिन का सूरज नहीं देख पाएंगे। पूर्व सैनिक मोहित कुमार क्षेत्री ने बताया की वे अफगानिस्तान में सिक्योरिटी गार्ड का काम कर रहे थे उन्होंने बताया कि जब तालिबान के कब्जे के बाद वे सुरक्षित एक होटल में थे, लेकिन बाहर हर जगह तालिबानी घूम रहे थे और बहुत बेकसूर लोगों की जान ले रहे थे। इसके बाद अगले दिन उन्हे फ्लाइट से इंडिया भेजने की तैयारी हुई। पहले उन्हे दुबई लाया गया फिर वहां से इंग्लैंड तब जाकर ही उन्हे वापस इंडिया लाया गया। अब भी वहां बहुत से नौकरी करने वाले और उत्तराखंड के कई पूर्व सैनिक फंसे हुए है।अब सभी लोगों को लाने के लिए सरकार द्वारा युद्ध स्तर पर प्रयास किया जा रहा है।
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