उत्तराखंड : सरकार की तरफ से महिलाओं के काम को सम्मानित करने के लिए तीलू रौतेली अवॉर्ड दिया जाता है लेकिन प्रदेश के विकासनगर और सहसपुर से बड़ी खबर सामने आ रही है जहां सहायता समूह चलाने वाली दो महिलाओं ने इस अवॉर्ड को सरकार को वापस कर चुका है। उन्होंने इसका कारण यह बताया कि एक तरफ यह सम्मान देकर महिलाओं के उत्थान की बात की जाती है और दूसरी तरफ उनसे ही रोजगार छीना जा रहा है। दोनो महिला का नाम गीता मौर्य और श्यामा देवी है। 2018 में उन्हे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने उन्हे सम्मानित किया था और 8 अगस्त 2020 को गीता मौर्य को उत्कृष्ट स्वयं सहायता समूह शक्ति के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से तीलू रौतेली पुरस्कार मिला था सम्मानित किया था।
उन्होंने महिलाओं के उत्थान और रोजगार के क्षेत्र बहुत अच्छा काम किया था। इसीलिए उन्हें इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा दो दिन पहले ही श्यामा देवी को भी महिला स्वयं सहायता समूह के लिए भी तीलू रौतेली पुरस्कार दिया गया जिसे उन्होंने कल यानि मंगलवार को वापस लौटा दिया।
दोनो महिलाओं का यही कहना है कि एक तरफ सरकार उन्हे सम्मान दे रही है तो दूसरी ओर उनसे रोजगार छीन रही है। दरहसल महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम महिला बाल विकास विभाग में टेक होम राशन की प्रक्रिया चलाई जाती थी, लेकिन कुछ समय पूर्व महिला बाल विकास विभाग ने इसके लिए ई-निविदा जारी किया है, और इसमें कंपनियों को आमंत्रित किया है। यदि टेक होम राशन की योजना को ठेके पर दी जाएगी तो प्रदेश में चलने वाले सभी स्वयं सहायता समूह का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।
इसीलिए दोनो महिलाओं ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर अपना अपना सम्मान वापस कर दिया। अब इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर निशाना साधते हुए उनसे टेंडर प्रक्रिया को रद्द करने की भी मांग की।
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