आपको बता दें की, गुरुवार को राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान, जिम्स संस्थान उपचार कराने पहुंची एक महिला की तबीयत लगातार बिगड़ते देखने के बाद भी यहां के डॉक्टरों ने उसे भर्ती नहीं किया यहां तक कि महिला को देखा तक नहीं, जिसके बाद महिला को समय पर ऑक्सीजन न मिलने के कारण महिला ने अपनी कार में ही तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। आपको बता दें की, लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच जिम्स के डॉक्टरों की संवेदनहीनता और लचर चिकित्सा व्यवस्था के चलते बीटा-दो सेक्टर की रहने वाली महिला जागृति गुप्ता अपनी कार में करीब तीन घंटे तक तड़पती रही, बताया जा रहा है की जब महिला के परिजन के उसे तुरंत उपचार देने की मदद मांगते रहे, लेकिन पर उसे कोई डॉक्टर देखने नहीं आया और न ही महिला को अस्पताल में भर्ती किया गया। महिला अपनी कार में ही तड़पती रही।
जानकारी के मुताबिक, जब महिला ने तड़प-तड़प कर कार में ही दम तोड़ दिया तो उसके बाद डॉक्टर आए और उसे मृत घोषित कर चले गए। बताया जा रहा है की जिम्स संस्थान के डॉक्टरों ने उस महिला के शव को मोर्चरी तक भिजवाने तक की कोई व्यवस्था नहीं करी। आपको बता दें की, जिम्स प्रबंधन का अमानवीय चेहरा उस वक्त सामने आया जब अस्पताल में कुल 13 बेड खाली पड़े थे, इसके बाद भी अस्पताल के डॉक्टर बेड खाली न होने का बहाना बनाकर महिला को भर्ती नहीं किया।
सचिन कुमार जो महिला को अस्पताल लेकर आए थे उन्होंने बताया कि, वो शहर के कई अस्पतालों के चक्कर काट कर जिम्स पहुंचे थे। और उन्हें जानकारी मिली थी कि जिम्स में कुछ बेड खाली हुए हैं, इसलिए वो वहां पहुंचे, लेकिन वहा पहुंचकर डॉक्टरों ने बेड न होने का बहाना बना कर उन्हे गुमराह करना शुरू कर दिया। उसके बाद जब उन्होंने जो मरीज डिस्चार्ज हुए हैं, उनके बारे में पूछा तो फिर यहां के डॉक्टर आग बबूला होकर मरीज को कहीं और ले जाने की बात कहने लगे। और महिला को बेड ना मिलने के कारण उसने कार में ही दम तोड दिया। वहीं, इस मामले को गंभीरता को लेकर सचिन ने जिम्स प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। पूरे देश में बेड़ा और ऑक्सीजन की भारी किल्लत है। ऐसे कई लोग हैं जोअस्पताल तो पहुंच जाते हैं लेकिन बेड ना मिलने के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है।
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