गुरदासपुर (पंजाब): पूरी दुनिया में मदर्स डे मनाया गया, जहां बच्चों ने मांओं का आर्शीवाद लेकर और उन्हें खास तोहफा देकर सेलिब्रेट किया। लेकिन पंजाब के गुरदासपुर जिले से एक दुखद खबर सामने आई है जहां, एक मां के लिए यह दिन इतना दर्द दे गया कि, वह अपने जीते जी कभी नहीं भूल पाएगी, क्योंकि इस मां ने अपने इकलौते बेटे की अर्थी को को कंधा देना पड़ा। सभी के आंखों में आसूं थे। लोगों ने कहा-हे भगवान अब ऐसा मातृ दिवस किसी और मां की किस्मत में नसीब ना हो। आपको बता दें की, 15 दिन पहले 25 अप्रैल को 21 पंजाब रेजिमेंट वीर सपूत 24 वर्षीय जवान परगट सिंह सियाचिन में बर्फीले तूफान की चपेट में आ गए थे, जहां वे गंभीर रुप से घायल हो गए और फिर शनिवार रात अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और वह शहीद हो गए।
इसके बाद रविवार को मदर्स डे पर जवान का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा उसके गांव पहुंचा तो मां सुखविंदर कौर, बहन किरणदीप और अमनदीप चीख-चीखकर रोने लगीं। यह देख सभी के आंखें नम होने लगी।इसके बाद पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। सिसकियों के बीच मां ने और उसकी बहनों ने जवान के सिर पर सेहरा सजाया और अर्थी को कंधा देकर श्मशान तक पहुंचाया। बिलखते हुए मां ने कहा कि ‘परगट सानू किते नहीं छड्ड के गया, मुड़ आएगा मेरा पुत्त’। इसके बाद पिता प्रीतम सिंह ने शाहिद को मुखाग्नि दी।
बताया जा रहा है की, परगट परिवार का इकलौता बेटा था और अभी उसकी शादी नहीं हुई थी। शाहिद जवान की दो बहनें हैं जिनकी शादी हो चुकी है। वह पिछले साल नवंबर 2020 में अपनी छोटी बहन अमनदीप कौर की शादी के लिए घर आया था। कोरोना के चलते वह छुट्टी पर नहीं आया था, लेकिन जल्दी ही घर आने वाला था। लेकिन उससे पहले ही उसकी शहादत की खबर आ गई।शहीद परगट सिंह के पिता ने बताया कि उनका बेटा परगट 3 साल पहले सेना में भर्ती हुआ था। और उसे बचपन से आर्मी में भर्ती होने जुनून सवा था।
उनके पिता ने बताया था की वह कहता था कि, अगर नौकरी करूंगा तो सेना की ही करूंगा। नहीं तो घर में ही ठीक हूं। उन्होंने आगे बताया की वह जब कभी आर्मी से छुट्टी पर आता था तो गांव के बच्चों को शारीरिक तंदुरुस्ती रखने और सेना में जाने के लिए प्रेरित करता था। वहीं, गांववालों ने कहा कि हमें वीर सपूत पर गर्व है। शहीद परगट सिंह की ड्यूटी सियाचिन ग्लेशियर में थी। 25 अप्रैल को वह अपने दो जवान साथियों के साथ बर्फीले तूफान में फंस गया था। जिसमें 2 जवानों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि परगट सिंह गंभीर रूप से घायल था। सैनिकों ने उसे बर्फ से बाहर निकालकर चंडीगढ़ के कमांडों अस्पताल में एडमिट कराया था। जहां उन्होंने दम तोड दिया।
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