शनिवार को आईएमए देहरादून की पासिंग आउट परेड में 341 अफसर भारतीय सेना में शामिल हुए। वहीं देहरादून की पासिंग आउट परेड में लेफ्टिनेंट बने विक्रांत शर्मा 1999 में पैदा हुए जब देश की सेना कारगिल यद्ध लड़ रही थी। उनके पिता ओमदत्त शर्मा सेना पुलिस में हैं, जो उस वक्त जम्मू में तैनात थे। कासन गुरुग्राम हरियाणा निवासी सूबेदार मेजर ओमदत्त धर्मपत्नी सुदेश शर्मा और बेटी नीतू शर्मा के साथ बेटे की पीपीओ में शामिल हुए।
सुदेश शर्मा बताती हैं कि, कारगिल युद्ध के दौरान विक्रांत उनके गर्भ में पल रहे थे। और उन्होंने संकल्प लिया था कि, अगर बेटा हुआ तो वह उसे सेना में ही भेजेंगी। और शनिवार को उनका ये सपना भी पूरा हो गया है।वहीं, 13 जून 1999 को उन्हें विक्रांत के रूप में एक प्यारा सा बेटा मिला। वो बताती हैं की बचपन से ही विक्रांत को सैन्य पृष्ठभूमि का माहौल मिला है और विक्रांत को भी सेना में जाने का मन है। वहीं, उनके घर में बचपन से ही परिजन विक्रांत को कैप्टन साहब कहकर बुलाते हैं।विक्रांत ने मां के संकल्प को पूरा करके दिखाया और कड़ी मेहनत कर अपनी मां का सपना पूरा किया।
विक्रांत की स्कूलिंग केंद्रीय विद्यालय दिल्ली से हुई, और उनकी बहन नीतू के पति भी एयरफोर्स में फाइटर पायलट हैं। पिता ओमदत्त शर्मा की आईएमए देहरादून में भी तैनाती रह चुकी है। वह इस वक्त बतौर सूबेदार मेजर सेना पुलिस में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सैन्य वर्दी में पिता बेटे की पासिंग आउट परेड का हिस्सा बने। सभी परिजन विक्रांत की इस कामयाबी से बेहद कुश है। ALSO READ THIS:17 जून को इतने अधिकारी उत्तराखंड पुलिस में होंगे शामिल, POP में मुख्यमंत्री भी होंगे शामिल….
वहीं, ठीक जनिमदिन दे एक दिन पहले ही मां का सपना पूरा करने वाले विक्रांत ने ये साबित कर दिया है की अगर आप मेहनत से हर कार्य करोगे तो आपको सफलता जरूर हासिल होगी। विक्रांत की ये कहानी सभी युवाओं के लिए प्रेरित करती है। हमारी टीम की तरफ से भी आपको बहुत शुभकामनाएं। ALSO READ THIS:उत्तराखंड: कोरोना काल में शहीद हुए साथियों को पुलिस और SDRF ने दी श्रद्धांजलि…