उत्तराखंड: छोटे से इस गांव से किसान का बेटा सेना में हुआ शामिल, आप भी दें बधाई…

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Krishna rawat from this small village joined Indian army after passing out

सपने हर कोई देखता है, लेकिन उन्हे पूरा करने का जुनून हर किसी में नहीं होता। लेकिन एक बार जिस व्यक्ति ने सभी मुश्किलों से लड़ अपने सपने को पाने की ठानी उसे अपने सपने तक पहुंचने से कोई नही रोक सकता। एक दिन वह जरूर सफल होता है। आज बहुत से युवाओं का सपना देश के रक्षक बन देश की सेवा करने का है। इसके लिए युवा जी जान से मेहनत भी कर रहे है और इसी मेहनत का एक उदाहरण हम आपको बताने जा रहे है।

यह युवा देवभूमि उत्तराखंड के गैरसैंण ब्लॉक से है। इनका नाम कृष्णा रावत है जिन्होंने भारतीय सेना एमिन अपनी जगह बनाकर अपने परिवार का ही नही बल्कि पूरे देवभूमि का नाम रोशन किया है। आपको बता दें कृष्णा के पिता सुरेंद्र सिंह रावत एक किसान है। उनकी माता आंगनवाड़ी में एक सहायिका के तौर पर काम करती है। उनके लिए अपने बेटे की यह उपलब्धि देखना बहुत बड़ी बात है। उनके परिवार के सभी लोग बहुत खुश है और माता पिता को अपने बेटे पर गर्व है।

कृष्णा का जन्म सन 1999 में हुआ। उन्होंने कंडारीखोड गांव के स्कूल में अपनी आठवीं तक की पढ़ाई पूरी की जिसके बाद वह अपने परिजनों के साथ गैरसैंण आ गए। गैरसैंण के राजकीय इंटर कॉलेज से कृष्णा ने अपनी इंटरमीडिएट की पढाई पूर्ण की। वे पढ़ाई में बहुत होशियार थे। उन्होंने 12वीं में 87 फ़ीसदी अंक प्राप्त किए थे। इसके बाद वे रुड़की आ गए। कृष्णा ने जब रुड़की के कैंट एरिया में सैनिकों को और उनकी परेड को देखा तो उन्होंने देश की वर्दी पहन कर देश की रक्षा करने का सपना देख लिया था।

उन्होंने एनडीए के पेपर देने शुरू कर दिए। पहला पेपर उन्होंने 2016 में दिया, लेकिन वे उसे क्लियर नही कर पाए। लेकिन इसके अगले ही साल उन्होंने और कड़ा परिश्रम कर फिर से परीक्षा दी जिसमे वे उत्तीर्ण हुए। 17 जुलाई को उन्होंने ओटीए को ज्वाइन किया। वहां उन्होंने एक साल की बेसिक ट्रेनिंग ली जिसके बाद उन्हें टेक्निकल ट्रेनिंग के लिए एमएलटीई मऊ भेज दिया गया।

कृष्णा की ट्रेनिंग पिछले तीन साल से चल रही थी, जिसके लिए वह कड़ी मेहनत भी कर रहे थे। उनकी यह मेहनत अब सफल हुई। वे एमएलटीई सैन्य अकादमी मऊ से पास आउट हो अब सेना में शामिल हो चुके है। कृष्णा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिजनों एवं अपने शिक्षकों को दिया। उन्होंने इतनी बड़ी उपलब्धि को हासिल कर अपने परिजनों एवं पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन किया है।

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