उत्तराखण्ड से दुखद: यहां ग्लेशियर टूटने से 100 से अधिक भेड़-बकरियों की हुई मौत…

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in pithoragarh munsiyari 100 sheep and goats died due to glacier break

जुलाई का महीना लग चुका है, और उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों में कुदरत के कहर छा रखा है। पहाड़ के लोग कभी भारी बारिश से परेशान हैं तो कभी भूस्खलन से, बारिश की वजह से नदी नालों में पानी उफान की तरह बह रहा है। वहीं, एक बड़ी खबर पिथौरागढ़ जिले से आ रही है जहां,बताया जा रहा है की ग्लेशियर की बर्फ खिसकने से सौ से अधिक भेड़ और बकरियों की मौत हो गई। अचानक हुई इस घटना से पशुपालक और उनके परिवार गहरे सदमे में है, उनका बरसों का बनाया रोजगार एक झटके में ही छीन गया। सालों की मेहनत से पाले-पोसे गए मवेशी कुछ सेकेंड में बर्फ के नीचे दबकर मौत हो गई। ये घटना मुनस्यारी के मल्ला जोहार क्षेत्र की है जहां, पिछले हफ्ते बर्फबारी के दौरान ग्लेशियर की बर्फ खिसकने से 100 से अधिक भेड़-बकरियों की बर्फ में दबने से मौत हो गई।

वहीं, ग्लेशियर टूटने से चरवाहों के टेंट और राशन आदि सामान भी बर्फ में दब गया, बताया जा रहा है की यहां आसपास के गांवों में रहने वाले मनोहर सिंह, खुशाल सिंह और विशन सिंह पछाई के मवेशी घास चरने के लिए मल्ला जोहार के नंदा देवी बेस कैंप के पास गए हुए थे, और जब वो भेड़-बकरियां बुग्यालों से होते हुए नीचे की ओर आ रही थीं तो अचानक से मौसम खराब हो गया। तभी अचानक से भारी हिमपात हुआ और ग्लेशियर की बर्फ पिघलकर बुग्यालों तक पहुंच गई। इस हादसे में 100 से अधिक भेड़ और बकरियां बर्फ में दब गईं।

वहीं, वहां तुरंत चरवाहों ने बर्फ में जो भेड़ बकरि फंसे हुए थे उन्हें तुरंत बाहर निकाला, लेकिन अफसोस फिर भी 100 से अधिक भेड़ बकरी की मौत हो गई। बता दें की वन पंचायत के सरपंच ने कहा कि चरवाहों का राशन, टेंट और यहां तक कि कुछ पालतू कुत्ते भी बर्फ में दब गए। उनके पास खाने का सामान तक नहीं रहा। और अब स्थानीय लोगों ने प्रशासन से प्रभावितों को मुआवजा देने की मांग की है। अब देखना ये होगा की प्रशासन कब तक आखिर पीड़ितों को मुआवजा देता है। ALSO READ THIS:सेना और देश से गद्दारी, 50 हजार रुपयों में बिक गया यह नायक, ISI को देता था सेना की गुप्त जानकारी…

पहाड़ में बारिश के मौसम में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अधिक बारिश आ जाए तो नदी नाले उफ्फान पर आ जाते हैं, कभी भूस्खलन तो कभी हिमपात जैसे मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। 100 भेड़ और बकरियों की मृत्यु होना दुख की बात ही। प्रशासन को जल्द से जल्द लोगों की मदद करने के लिए आगे आना चाहिए। इस में सबसे ज्यादा दुख उन्हे हुआ जिनका सदियों से भेड़ बकरियां ही रोजगार का सहारा बनी हुई थी।

 

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