आपको बता दें कि उत्तराखंड में युवाओं द्वारा तेजी से भू कानून का समर्थन किया जा रहा है। और उत्तराखंड राज्य को भू-कानून की सख्त आवश्यकता है। उत्तराखंड में भू-कानून ना होने की वजह से बाहरी राज्यों से आए पूंजीपति जमीनों का मोल-भाव कर रहे है। सोशल मीडिया के माध्यम से राज्य का हर नागरिक भू-कानून का समर्थन कर रहा है और साथ ही अब भू-कानून का मुद्दा सियासी चर्चा में शामिल हो गया है। उत्तराखंड के लोगों का कहना है कि अगर यूं ही हमारी जमीन सस्ते में बिकती रही तो एक दिन ऐसा आएगा जब हम भू-स्वामी की बजाए अपनी ही जमीनों पर नौकरी करने पर मजबूर हो जाएंगे।
आज हम मुक्तेश्वर के एक मामले के बारे में आपको बताते है। जहा एक युवक ने करीब 6 साल पहले अपनी 12 नाली जमीन में से 4 नाली जमीन नोएडा के एक व्यक्ति बेच दी थी। उस आदमी ने वहां पर रिजॉर्ट बनाया और अब वह जमीन मालिक उसी रिजॉर्ट पर नौकरी करता है। ऐसा ही मामला नैनीताल जिले के रामनगर का भी है। जहां 2001 में दो भाइयों ने अपनी जमीन किसी बाहरी राज्य के व्यक्ति को बेच दी थी। 2005 में उस जमीन पर उस व्यक्ति द्वारा रिसोर्ट बनाया गया और अब वह दोनों भाई इस रिजॉर्ट में काम करते हैं। ALSO READ THIS:उत्तराखंड: डॉक्टरों की लापरवाही से चली गई 17 साल की राधा की जान, परिवार वालो ने लगाए गंभीर आरोप…
यह दो ही मामले नहीं बल्कि उत्तराखंड में कई ऐसे जगह है जहां पर जमीनों के मालिकों द्वारा किसी बाहरी राज्य के व्यक्ति को कम दामों में अपनी जमीन बेची गई और वहां पर रिजॉर्ट बनाया गया। जमीन मालिक अब उस रिसोर्ट में कुक, कार चालक या वेटर का काम करते हैं। नागरिक वहीं राज्य के नागरिक जो कि अपनी कृषि भूमि पर रिजॉर्ट बनाना चाहते हैं, उनके लिए भी भू-परिवर्तन की राह कठिनाइयों से भरी है। यमकेश्वर के अरुण जुगलान को भी कुछ इसी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि यमकेश्वर के मोहनचट्टी क्षेत्र मैं करीब एक दर्जन से ज्यादा रिजॉर्ट खुले हैं वह सारे रिजॉर्ट उत्तराखंड से बाहरी राज्यों के लोगों के हैं जिसमें दिल्ली हरियाणा जैसे राज्य भी शामिल है। उन रिजॉर्ट में स्थानीय लोगों द्वारा 5 से 6 हज़ार रुपए प्रतिमाह की तनखा पर काम किया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि वह भी अपनी खेती की भूमि पर एक रिसोर्ट खोलना चाहते हैं, लेकिन 1 साल से तहसील के चक्कर काटने के बाद भी उनका भू-परिवर्तन नहीं हुआ। ऐसी सारी घटनाओं को देखते हुए उत्तराखंड सरकार को हिमाचल सरकार जैसे अपने राज्य में भी भू कानून को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए ताकि पहाड़ों को भू माफियाओं से बचाया जा सके। ALSO READ THIS:चमोली: फॉरेस्ट गार्ड भर्ती में 25 किलोमीटर दौड़ पूरी करने के बाद सूरज प्रकाश की मौत..