बता दे कि भारत के अलग-अलग ट्रेनिंग अकैडमी में अफगान के 130 जवान ट्रेनिंग ले रहे हैं। और वह जवान अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद इन जवानों का भविष्य असुरक्षित नजर आ रहा है। इंडियन मिलिट्री एकेडमी में 80 और चेन्नई, पुणे स्थित एकेडमी में अन्य अफगानी कैडेट्स ट्रेनिंग ले रहे हैं।
सेंसर अधिकारी का कहना है कि इन जवानों की ट्रेनिंग व अन्य खर्चे भारत उठा रहा है। 2001 के बाद से अफगानिस्तान के राष्ट्र निर्माण के लिए भारत ऐसा मदद के तौर पर कर रहा है। अफगानिस्तान की सेना ने तालिबान के सामने सरेंडर कर दिया है, ऐसे में इन जवानों का भविष्य अंधकार में जाता हुआ दिखाई दे रहा है।
एक संभावना यह है कि यह जवान अफगान सेना के सैनिकों के साथ शामिल हो सकते हैं जो कि तालिबान के साथ शामिल हो गए हैं, क्योंकि अधिकांश अफगान सैनिक तालिबान के साथ शामिल हो चुके हैं। हालांकि इसके बारे में उन्होंने कहा है कि इस बारे में हमें अभी कोई भी स्पष्टता नहीं है, कि हम अपने देश लौटने में क्या करेंगे यह आने वाला समय बताएगा।
आपको बता दें कि लगभग 700 से 800 अफगानी जवान हर साल भारतीय मिलिट्री संस्थाओं में टेलर मेड कोर्स अटेंड करने आते हैं। ऐसा कई वक्त पर होता आ रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि 80-100 कैडेट्स आईएमए, ओटीए और एनडीए आकर हर साल प्री कमिश्निंग ट्रेनिंग लेते आए है। हालांकि भारत भूटान बांग्लादेश म्यांमार और कजाकिस्तान से लेकर श्रीलंका और वियतनाम तक के जवानों को ट्रेनिंग देता है। लेकिन इनमें अफगानिस्तान की जवानों की संख्या ज्यादा होती है।
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