गीतकार (lyricist) योगेश गौर का शुक्रवार को निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे। उन्हें आनंद (1971) फिल्म से “जिंदगी कैसी है पहेली” जैसे हिट गानों के लिए जाना जाता था। उन्होंने एलबी लछमन के लिए गीत लिखकर अपने करियर की शुरुआत की थी और उन्होंने “कहीं दूर जब दिन ढल जाए” जैसा गीत भी लिखा था। तब हृषिकेश मुखर्जी ने इस गाने को सुना और उन्होंने इसे अपनी फिल्म में इस्तेमाल किया।
फिल्म रजनीगंधा (1974) के उनके प्रसिद्ध गीत “कई बार यूंही देखा है” को लिखने से गायक मुकेश को बेस्ट प्लेबैक मेल सिंगर के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। योगेश ने “ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा” में बाटन बॉटन मीन, “रिमझिम गिरे सावन”, “मिली से मैंने कहा ओहूलों से”, “जानेमन जानेमन तेरे दो नैन” जैसे कई प्रसिध्द गीत लिखे हैं।
गायिका लता मंगेशकर ने उनके लिए एक स्पेशल ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा, “मुझे अभी पता चला कि दिल को छूनेवाले गीत लिखने वाले कवि योगेश जी का आज स्वर्गवास हुए। ये सुनके मुझे बहुत दुख हुआ। योगेश जी के लिखे कई गीत मैन गाये। योगेश जी बहुत शांत और मधुर स्वभाव के इंसान थे। मैं उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पण करती हूं।”
Mujhe abhi pata chala ki dil ko chunewale geet likhnewale kavi Yogesh ji ka aaj swargwas hua. Ye sunke mujhe bahut dukh hua.Yogesh ji ke likhe kai geet maine gaaye. Yogesh ji bahut shaant aur madhur swabhav ke insan the. Main unko vinamra shraddhanjali arpan karti hun.
— Lata Mangeshkar (@mangeshkarlata) May 29, 2020
लता जी ने 2018 की एक तस्वीर भी साझा की जब योगेश को दीनानाथ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
2018 mein humne Deenanath Puraskar se Yogesh ji ko sammanit kiya tha. pic.twitter.com/CgXCO9JCec
— Lata Mangeshkar (@mangeshkarlata) May 29, 2020
गीतकार योगेश लखनऊ से थे और सिर्फ 16 वर्ष की आयु में मुंबई आए थे। वह अपने चचेरे भाई योगेंद्र गौर के साथ मुम्बई आये थे, जो एक पटकथा लेखक (screenplay writer) थे। 1995 के बाद, उन्होंने पिया मुझसे रूठ गए गाने को लिखकर वापसी की। फिर साल 2017 में फ़िल्म अंग्रेज़ी में कहते हैं के लिए मेरी आँखें जैसे गीत को भी लिखा।