बंटवारा होना हर घर में एक आम बात है।भाइयों के बीच लालच,आपस में ना बनना,बेइमानी जैसी चीजे जन्म ले लेती है।लेकिन मध्य प्रदेश में बैतूल के एक घर में भाइयों के बीच बहुत अनोखा बंटवारा हुआ। समाज में इस बंटवारे ने लोगों का दिल जीत लिया। यह बटवारा एक भाई की मृत्यु के बाद हुआ।
यह खबर बैतूल जिले के खैरा गांव की है।यहां आदिवासी किसान की मृत्यु हुई।तो उसके बाद उसकी संतानों की जिम्मेदारी उसी के तीन भाइयों ने ली।यह जिम्मेदारी एक बंटवारा चर्चा का विषय बन गया। यह बंटवारा भरी पंचायत में हुआ।
भरी पंचायत में तीनों भाइयों ने माना कि मृत भाई के बच्चे अब उनके है। बैतूल के खैरा गांव में पिछले साल 17 जनवरी को एक आदिवासी चैतू इवने की मृत्यु हो गई।उसके चार बच्चे हैं, तीन बेटियां और एक नाबालिक बेटा।चैतू की मृत्यु के बाद बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी उसके तीनों भाइयों ने ली।
इस पर बहुत विचार-विमर्श हुआ, पंचायत बैठाई गई और तीनों भाइयों ने एक-एक संतान की जिम्मेदारी ली। पंचायत में 15 साल की कविता, 17 साल की सविता और 13 साल के राकेश को गोद लेने पर सहमति हुई।भाई करण ने कविता को,भाई चेतराम ने राकेश को और चैपा ने सविता को अपनी बेटी के रूप में गोद ले लिया। भरी पंचायत में उन्होंने बच्चो को स्वीकारा।
दुख की घड़ी में भी इस बटवारे से इस परिवार में दोबारा खुशी का माहौल बन गया।सभी लोग हंसी खुशी मिल जुलकर रह रहे है।इस परिवार ने समाज में बटवारा का अर्थ ही बदल डाला है।