पौड़ी के घाटी में बन रही है दुनियां की सबसे खूबसूरत झील, आप भी देखिए वीडियो में इस झील की खासियत

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Gagwarsyun valley lake gagwarsyun ghati

गगवाडस्यु झील gagwarsyun valley lake:- दोस्तों पौड़ी मण्डल मुख्यालय के कंडोलिया से सामने की ओर दिखाई देने वाली शाम के समय मन को तृप्त करने वाली जहां प्रसिद्ध हिंदी यात्रा वृतांत लिखने वाले लेखक राहुल सांस्कृत्यायन ने आकर यहां का वर्णन अपने यात्रा वृतांतों मैं किया,जहां संध्याकाल में सूरज अपनी किरणों को मोती की तरह विखेरता हो,और प्राकृतिक सुंदरता से सराबोर एक ऐसी सुंदर घाटी जिसका नाम है ,गगवारसयुं घाटी दोस्तों आपने ऐसी घाटी के दर्शन भले ही कभी अपने जीवन मैं किये हो। दोस्तों आज आपको बताते हैं गगवारसयुं घाटी तथा यहां बनाई जा रही झील के बारे में।

गगवारसयुं घाटी -पौड़ी मंडल मुख्यालय से सटी गगवाड़सयुं घाटी बेहद ही खूबसूरत घाटी है जो अपने अंदर कई रहस्य लिये है। यहां वर्ष भर में होने वाले धार्मिक कार्यक्रम इसकी सुंदरता पर चार चांद लगा देते हैं। गगवाड़स्यु घाटीे में आप पैदल भी प्रवेश कर सकते हैं अगर आप पूरी घाटी में घूमना चाहते हैं तो आपको किसी वाहन की ज़रूरत होगी।पौड़ी के कंडोलिया से सटी इस घाटी का क्षेत्रफल लगभग 2 या 3 वर्ग किमी होगा। यहां का ल्वाली बाजार बेहद ही खूबसूरत है जहां आपको डबराल स्वीट्स के समोसे ओर चटपटे स्प्रिंग रोल औऱ सेल नमकीन खाने को मिल जाएंगे।यहां देवलेश्वर महादेव मंदिर बलोड़ी, सॉल्यु,sunset view point कंडोलिया,घुसगुली खाल ,मोरी मेला तमलाग, जनता इंटर कॉलेज के साथ,कालेश्वर मुख्य आकर्षण का केंद्र लेकिन यहां पर्यटक आकर्षण को बढ़ाने हेतु वर्ष 2006 से एक झील को बनाने का प्रस्ताव रखा गया।

बनाई जा रही है गगवाड़स्यु झील [gagwarsyun valley lake] :- दोस्तों वर्ष 2006 से प्रस्तावित गगवाड़स्यु झील का कार्य शुरु होने मैं कई अड़ंगे सामने आए । यहां की सोई हुई जनता को आखिर जगाये कौन औऱ आजकल सरकार पर अगर दबाव नहीं डाला गया तो सरकार आज के समय मैं कुछ नहीं करती । वास्तव में हम आलसी हो गए हैं। चाहे अब आपको बुरा लगे तो माफी चाहते हैं। परंतु सच यही है दोस्तों । हम अभी भी यह सोच रहे हैं अगर यहां की जनता जागरूक नहीं रही तो निर्माण का समय टल जाएगा और शायद ही 62 लाख रुपये की लागत से बन रही यह झील बन पाए बाकी सोचना यहां की जनता को है। मंडल मुख्यालय होने के बावजूद पौड़ी में न कोई बेहतर टूरिस्ट प्लेस हैं ना ही यहां के लोगों के लिए रोजगार के लिए कोई सुविधा,बीतें कुछ समय में कई सरकारे बदल गयी परंतु पौड़ी ज्यूँ का त्युं है। अब हम पौड़ी बस अड्डे की बात नहीं करना चाहते। बस इतना बोलना चाहते हैं। जो हो गया सो हो गया बीते कल को भुलाकर कुछ नया करने की कोशिश यहां के लोगो को करनी चाहिये।

आपके लिए हमारे youtube चैनल द्वारा बनाई गगवाड़स्यु झील की यह वीडियो उपलब्ध है आप देख सकते हैं।

झील पर चल रहा है काम- दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस झील का काम शुरू भी हो चुका है।
औऱ उम्मीद लगाई जा रही है कि यह 2022 तक तैयार हो जाएगी। बताया जा रहा है कि यात्रियों को जल्दी झील तक पहुंचाने के लिए एक रोप way का निर्माण भी किया जाएगा। परंतु यह केवल तभी सम्भव हो पाएगा जब यहां के लोग जागरूक होंगे और कुछ करने की प्रतिज्ञा करें।जनता को आगे आकर अपनी अपनी भूमिका अदा करनी होगी।क्या पता इस झील के बनने से कितने लोगों का घर बस जाये। क्योंकि झील के बनने के बाद रोज़गार मिलना और विकास होना संभव है। 

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यहां के विकास पर पलायन है काला धब्बा:- पलायन धीरे धीरे पौड़ी के साथ साथ उत्तराखंड के कई जिलों को अपना शिकार बनाता जा रहा है। और गगवाड़स्यु भी पलायन की चपेट से अछूता नहीं है यहां की लगभग आधी आबादी पलायन कर चुकी है। लेकिन लोगों को यही दोष दिया जा सकता है कि वे जागरूक नहीं हैं इसके अलावा उनको कुछ नहीं बोला जा सकता जब लोगों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये काम ही नहीं होगा तो उनका भी शहरों की ओर पलायन करना गलत नहीं बोला जा सकता है। लेकिन सरकार पर निर्भरता भी ठीक नहीं है क्योंकि अगर आज एक सरकार काम शुरू करवाएगी तो उस काम को पूरा होने में 5 साल लगना तो आम बात है। औऱ तब तक दुसरी सरकार बन जाती है ऑर या तो वह उस काम पर ध्यान नहीं देती या तो कार्य ही बंद हो जाता है। अगर लोग अपने बारे में न सोचकर जनहित का लाभ देखकर काम करें या करवाये तो इसमें फायदे के साथ विकास होना संभव है। आप अगर थोड़े भी समझदार तो समझ गए होंगे यहां किसकी बात हो रही है।

माफी चाहते उन सभी लोगों से जिनको हमारे शब्दों से बुरा लगा हो। परंतु आज के युवा होने के साथ ओर पढ़े लिखे होने के साथ अपने क्षेत्र के लोगों को जागरूक करवाने के लिए हमारा इतना फ़र्ज़ तो बनता है। अंगद गांव के प्रधान लोग मनरेगा से आ रहे फण्ड को सही जगह लगाएं और टेक्नोलॉजी से खेती करें या गांव की विस्तृत भूमि पर उत्पादन करें,उधोग खोले तो क्या हम विकसित नहीं होंगे अंत में हम यही कहना चाहते हैं कि हमको सरकार पर निर्भरता खत्म करनी होगी यही एक मात्र तरीका है कुछ करने का वरना आने वाले समय में हमको पछताना पड़ेगा।अंत में एक बार फिर माफी चाहते हैं अगर आपको बुरा लगा हो तो अगर आप कुछ पूछना चाहते हैं तो टिप्पणी कर सकते हैं नीचे।

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