यह तो सभी जानते हैं कि पहाड़ों में महिलाओं का जीवन बहुत ज्यादा संघर्षपूर्ण व मेहनत वाला होता है. सुबह सबसे पहले उठकर सबके लिए खाना बनाने व मवेशियों के लिए कठिन चढ़ाई में चढ़कर चारा लाने व जलावन के लिए लकड़ियां लाने से लेकर रात में सब को खाना खिला कर आखिरी में सोती है.
यह जीवन पहाड़ की महिलाएं हर रोज जीती है और अब यही महिलाएं पलायन ना करके रोजगार पैदा कर रही हैं और दूसरों को भी काम दे रहे हैं. आज हम आपको उत्तराखंड की एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहा है. जो कि ग्रहणी होने के साथ-साथ एक उद्धयमी भी है और अन्य महिलाओं को भी काम दे रही है.
आज हम बात करने जा रहे हैं उत्तराखंड राज्य के देहरादून की रहने वाली गीता उपाध्याय के बारे में जोकि अजय स्वालंबन सेंटर नाम से एक सेंटर चलाती हैं. यह केंद्र लोगों को सब्जियां, जानवर और मत्स्य पालन में मदद करता है. गीता उपाध्याय मशरूम उत्पादन भी करती हैं.
गीता उपाध्याय का कहना है कि मशरूम उत्पादन से आप 90 दिनों में मूल निवेश से दोगुना लाभ कमा सकते हैं. 90 दिनों में 500 बैग मशरूम से लेकर 10 क्विंटल मशरूम तक का उत्पादन किया जा सकता है. जोकि बाजार में 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है.इस उत्पादन से वहां दो लाख से ऊपर की कमाई कर लेती है.
मशरूम एक कम कैलोरी वाली सब्जी है.जिसका सेवन करने से वजन, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. इस व्यवसाय को गीता उपाध्याय अपने पति दीपक उपाध्याय और परिवार के साथ करती है. गीता उपाध्याय अन्य सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है.