उत्तराखंड के लाल की आखिरी कॉल: सीक्रेट मिशन पर जा रहा हूं, लौट कर बात करूंगा, फिर आठ दिन बात तिरंगे में लिपटा आया शहीद

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Shaheed Tikam Singh's last words
Shaheed Tikam Singh's last words (Image Credit: Amar Ujala)

असिस्टेंट कमांडेंट टीकम सिंह नेगी जो कि उत्तराखंड के देहरादून के राजावाला-सेलाकुई के रहने वाले थे. वह लद्दाख में भारत और चाइना बॉर्डर पर तैनात थे. 8 दिन पहले उन्होंने अपनी पत्नी को फोन करके यहां बताया था कि वह एक सीक्रेट मिशन पर जा रहे हैं और आकर उनसे बात करेंगे.

मगर किसी को क्या मालूम था कि यहां शब्द उनके आखिरी शब्द होंगे. उस फोन में हुई बात के कुछ दिनों बाद उनके शहीद होने की खबर ही उनके घर तक पहुंची. यह यह खबर सुनते ही उनके फौज से रिटायर पिता राजेंद्र सिंह नेगी अपने वीर शहीद बेटे को याद करके रोने लगे और बताने लगी कि बीते फरवरी के महीने में वह किसी ऑफिशियल काम से देहरादून आए थे.

तब वह सिर्फ 1 दिन के लिए ही अपने घर में रुके और करीब 8 दिन पहले उन्होंने अपनी पत्नी दीप्ति को यहां बताया था कि वह किसी सीक्रेट मिशन में जा रहे हैं और वापस लौट कर उनसे बात करेंगे. जिसमें जान तक का बहुत ज्यादा जोखिम है.

जिसके बाद उनका टीकम सिंह नेगी से कोई भी संपर्क नहीं हो पा रहा था. बीते सोमवार को उनके आईटीबीपी के अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया कि उनके बेटे टीकम सिंह नेगी शहीद हो गए हैं. आईटीबीपी के एडीजी मनोज रावत और आईपीएस संजय गुंजियाल ने टीकम सिंह नेगी के बारे में बताते हुए कहा कि वह बहुत ज्यादा जांबाज अधिकारी थे.

पूरे आइटीबीपी में उनकी जाबाजी और बहादुरी के बहुत चर्चे थे. टीकम सिंह नेगी के दादा स्वर्गीय सुंदर सिंह नेगी और पिता राजेंद्र सिंह भी फौज में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. शायद यही कारण था कि सही टीकम सिंह नेगी के अंदर भी बचपन से भर्ती के लिए बहुत ज्यादा इज्जत और जुनून था.

टीकम सिंह नेगी असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर 2011 में आइटीबीपी में भर्ती हो गए थे. उनकी पहली पोस्टिंग अरुणाचल प्रदेश में हुई थी. जिसके बाद उन्होंने इंस्ट्रक्टर के पद पर ऑफिसर ट्रेनिंग अकैडमी, चेन्नई में भी काम किया और अब उनकी तैनाती लेह लद्दाख में हुई थी.

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