देवभूमि उत्तराखंड हमेशा से अपने तीर्थ स्थलों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ रहता है. मगर इस बार उत्तराखंड तीर्थ स्थलों के लिए नहीं बल्कि मजारों की वजह से चर्चा का विषय बना हुआ है. क्योंकि उत्तराखंड राज्य में बहुत सारी मजारे अवैध रूप से बना दी गई है.
यहां मजारे और कहीं नहीं देश के सबसे पुराने नेशनल पार्क जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बना दी गई है. इन मजारों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए सरकार भी एक्शन में आ गई है और इन सभी मजारों को हटाने का निर्णय ले लिया गया है. बता दें कि उत्तराखंड राज्य में सरकारी जमीन पर बहुत ही ज्यादा बड़ी मात्रा में मजारे बनाई जा रही है.
उत्तराखंड के कालाढूंगी में आपको सड़क के दोनों तरफ बड़ी मात्रा में मजारे नजर आएंगी. जो कि वन विभाग या सरकार की जमीनों पर अवैध कब्जा करके बनाई गई है. अब तक 102 अवैध रूप से निर्मित मजारों को हटा दिया गया है. जब ध्वस्त की गई मजारों की जांच की गई तो पता लगा कि इन मजारों में किसी भी व्यक्ति विशेष के अवशेष नहीं है.
रामनगर के कालाढूंगी जंगल में जाना तक वर्जित है मगर यहां भी कई मजारे बनी हुई है. यहां रहे रहे मौलाना का कहना है कि यह मजार कालू सैयद पीर के नाम पर बनी हुई है. इन्हीं पीर बाबा के नाम पर कई और मजारे भी बनी हुई है. मगर मौलाना को खुद से यह भी नहीं पता कि असली पीर बाबा की मौत किस जगह हुई थी.
इन मजारों के सामने इन लोगों ने घर भी बना रखे हैं. जिसमें कि बच्चे और औरतें भी रहती है. मौलाना का कहना है कि हर बृहस्पतिवार की रात को इस मजार में शेर, हाथी व अन्य कई जानवर माथा टेकने आते हैं और उनको कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाते. इन मजारों के जरिए सरकारी जमीन को अपने कब्जे में करने का एक पूरा प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है।
खबरों की मानें तो पता लगता है कि पहले यह इन मजारों के आसपास ईट इकट्ठा करते हैं और फिर वही पर अवैध निर्माण शुरू कर दिया जाता है. उत्तराखंड में ऐसी एक दो नहीं बल्कि हजारों मजारे बनी हुई है जो कि अवैध है और कई मजारे तो 10 से 15 साल पुरानी हो चुकी है. उत्तराखंड के देहरादून में ऐसी जितनी भी अवैध मजारे हैं.
उन सब की एक सूची पुलिस के द्वारा तैयार कर ली गई है. उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी जी ने कहा है कि यह जितने भी अवैध अतिक्रमण किए गए हैं. इन सब को वह खुद से ही हटा ले नहीं तो सरकार शक्ति का प्रयोग करके इन्हें हटाएगी.