बिजराकोट के आराध्या देव रावल देवता देवरा यात्रा का शुभारम्भ, दस्ज्युला छेत्र के सभी गांवों में हो रहा भव्य स्वागत

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Inauguration of Bijrakot's Aradhya Dev Raval Devta Devra Yatra, grand welcome being given in all the villages of Dasjyula area.
Inauguration of Bijrakot's Aradhya Dev Raval Devta Devra Yatra, grand welcome being given in all the villages of Dasjyula area.

दसज्युला क्षेत्र के आराध्य देवता श्री रावल देवता की बन्याथ (देवयात्रा )यात्रा प्रारंभ हो चुकी है इस बन्याथ यात्रा में चमोली तथा रुद्रप्रयाग दोनों जिलों के गाँव शामिल है।

रुद्रप्रयाग जिले के विकासखण्ड अगस्तमुनि के बिजराकोट , रावलधार ,बौरा , टुखिंडा, बुरांशी, जाखेडा , गैर , अमोला पुडियास, तथा देवरादी सम्मिलित है,वहीं चमोली जिले के पोखरी विकास खण्ड से बडेथ,डांग,इज़्ज़र , तथा भान्वाडी सम्मलित हैं। इन सभी गांवों से लगभग 250 से300 परिवार सम्मिलित है ।

 

22 नवंबर को रावल देवता गर्भ गृह से बाहर आये, तत् पश्चात 3 दिवसीय पूजा पाठ रावल देवता के कुलगुरु श्री अरुण प्रसाद खनायी जी की अगुवाई में 8 ब्राह्मणों द्वारा विधिवत किया गया 

24 नवम्बर को ब्रह्म गुरु श्री जगदंबा प्रशाद बेंजवाल जी बिजराकोट पहुँचे इसी के साथ रावल देवता के अगवानी बीर लाटू देवता के ब्रह्म की डोली बनाने के लिए विजयपाल सिंह रावत जी को बुलाया गया ।

इसी दिन रात को ब्रह्म गुरु जगदंबा प्रशाद बेंजवाल जी ने 24 नवम्बर की रात्रि 10 बजे से शक्ति मंत्रों द्वारा ब्रह्म बंधन तथा शक्ति शाँचरण किया जो जी 25 नवम्बर के 3:30 सुबह तक चला , 

जिसके पश्चात ब्रह्म गुरु के द्वारा ब्रह्म एरवालों (देव पाश्व) को सौंपा गया 

25 नवम्बर सुबह 9 बजे देवता ने सभी श्रद्धालुओं को माथम आशीर्वाद दिया और अपनी बनातोली होते हुए सारी गाँव स्तिथि झालीमठ में माँ झाली मंदिर में हवन कुण्ड खोला यहाँ पर नरोत्तम प्रशाद ड़िमरी की अगुवाई में 3 दिवसीय पूजा पाठ और हवन हुआ ।

28 नवम्बर को माथम देने के बाद देवता रानों गाँव में स्थित रावलजाड़ मंदिर गये यहाँ पूजा अर्चना के पश्चात देवता इसी दिन बड़ेथ गांव पहुँचे 

29 नवम्बर को देवता ने बड़ेथ स्तिथ अपना शक्ति कुंड खोला यहाँ पर एक दिवसीय पूजा पाठ के बाद देवता ने यही से अपने बानी गावों की यात्रा प्रारंभ की जो की 8 दिसंबर तक चली ।

9 दिसम्बर को देवता ने पूरब दिशा से यात्रा प्रारंभ की सभी बानी गावों के लोगों ने देवता तो विदाई दी जिसने काफ़ी संख्या में सभी बानी गावों की मातृशक्ति भग्तजन आये और देवता से 6 महीने बाद वापस अपने गाँव लोटने का वचन लेकर देवता को विदा किया 

9 तारीख को देवता अपनी बन्याथ (देवयात्रा) के पहले गाँव कुमेरियाडांग (कुटुम्ब नगर) गये यहाँ पर ध्यूका , सेरा और कुमेरियाँ डांग (कुटुम्ब नगर) की मात्रशक्ति व भग्तजनों द्वारा भव्य स्वागत , जायकारे तथा रावल देवता की गाथाओं को गाया गया देवता ने रात्रि विश्राम ध्यूका गांव में किया 

10 तारीख को देवता सेरु, अमकोंडा होते हुए थपलगाँव पहुँचा यहाँ पर देवता का पंचायती विश्राम हुआ ।

11 को सभी भक्तों को माथम देने के बाद देवता महड़ गाँव स्तिथ माँ चण्डिका व मां चण्डिका एवं शिव मंदिर गया देवता ने यहाँ पर देवी के बन्नातोली और ध्यूके दिखा शक्ति प्रदर्शन किया इसके बाद देवता इसी दिन क्यूडी मालांस पहुँचा यहाँ धुयुके छाँटने के बाद देवता ने रात्रि विश्राम अपनी धियाँन उषा देवी रावत पत्नी श्री राय सिंह रावत के यहाँ किया 

12 तारीख को माथम और आशीर्वाद देने के बाद देवता तलगाड़ गाँव पहुँचा रात्रि विश्राम अपनी धीयान श्रीमती नंदा देवी जग्गी पत्नी स्व श्री गजपाल सिंह जग्गी जी के घर पर हुआ।

13 तारीख को माथम देने के बाद देवता आगर, कोखंडी होते हुए बाँजी गाँव पहुँचा यहाँ पर रात्रि विश्राम श्री गोपाल सिंह नेगी जी के घर पर हुआ

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