पौड़ी गढ़वाल में बनेगी 7 झीलें, एक बनकर तैयार, पर्यटकों को करेंगी आकर्षित, रोजगार के बढेंगे अवसर

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7 lakes will be built in Pauri Garhwal, will attract tourists, self-employment opportunities will increase
7 lakes will be built in Pauri Garhwal, will attract tourists, self-employment opportunities will increase (Image Source: Social Media)

उत्तराखंड सरकार पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए नई पहल कर रही है। पौड़ी जिले में सिंचाई विभाग 7 झीलों का निर्माण कर रहा है, जिससे क्षेत्र की पहचान पर्यटन स्थल के रूप में होगी। पहले से ही एक झील बनकर तैयार हो चुका है, जबकि शेष 6 पर काम जारी है। इन झीलों के बनने से पर्यटकों को बोटिंग का आनंद मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

पौड़ी जिले में पर्यटन और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सात झीलों का निर्माण किया जा रहा है। आईआईटी रुड़की ने इन झीलों का डिजाइन तैयार किया है और निर्माण कार्य जारी है। इनमें से एक झील, ल्वाली झील, बनकर तैयार हो गई है, जबकि शेष ६ झीलों पर काम जारी है।

इन सात झीलों में सतपुली में ल्वाली झील, पापडतोली झील, सतपुली बाजार के निकट पश्चिमी नयार पर झील, पश्चिमी नयार पर पैठानी में झील, स्यूसी झील, और मरखोला झील शामिल हैं। सतपुली झील पर काम चल रहा है, जबकि स्यूसी झील की डीपीआर तैयार की जा रही है और अन्य चार झीलों की डीपीआर पर भी काम जारी है।इन झीलों के निर्माण से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र की पहचान पर्यटन स्थल के रूप में होगी।

पौड़ी जिले में पर्यटन और सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए दो झीलों का निर्माण किया जा रहा है, जिनमें ल्वाली झील और सतपुली झील शामिल हैं। ल्वाली झील का निर्माण 11.92 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है, जबकि सतपुली झील का निर्माण 56 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है।

इन झीलों का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना और सिंचाई की सुविधा प्रदान करने के लिए पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। झीलों के बनने से पर्यटक बोटिंग का आनंद ले सकेंगे, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।इन झीलों के निर्माण से क्षेत्र की पहचान पर्यटन स्थल के रूप में होगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र की जल सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

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