“लहरों से डर कर नैय्या पार नहीं होती, कोशिश करने वाले की कभी हार नही होती”, इन पंक्तियों की एक जीती जागती मिसाल पेश की है गुप्तकाशी की राखी चौहान ने जिन्होंने कम संसाधनों के बाद भी कड़ी मेहनत और परिश्रम के दम पर सेना में लेफ्टिनेंट बन देश व परिवार का नाम रोशन किया है ।
उत्तराखंड की इस बेटी ने राज्य समेत अपने गांव को भी गोरवान्वित किया है। जानकारी के लिए बता दे की राखी गुप्तकाशी के देवर गांव की रहने वाली है। राखी एक साधारण से सामान्य वर्ग वाले परिवार से आती है जिनके पिता की आर्थिक स्थिति उतनी सक्षम नहीं थी जिसके बावजूद भी राखी ने नर्सिंग करने के पश्चात मेहनत और लगन से सेना के नर्सिंग विंग में 52वी रैंक हासिल कर सेना में अपनी जगह बनाई।
राखी चौहान का चयन (एस•एस•सी) शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत हुआ है। राखी ने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई राजकीय इंटर कॉलेज गुप्तकाशी से उत्तीर्ण की तथा स्नातक स्तरीय पढ़ाई मानव भारती कॉलेज देहरादून से प्राप्त की। राखी बचपन से ही होनहार तथा शांत स्वभाव की है।
राखी के पिता श्री दिलीप सिंह चौहान होटल व्यवसाय तथा दो भाई निजी व्यवसायों में है। बेटी की इस कामयाबी से पिता की आंखों से आंसु छलक गए।
पूरा गांव राखी की इस उपलब्धि के लिए उनकी सराहना कर रहा है। आज राखी ने लेफ्टिनेंट बन अपने गांव तथा पूरे राज्य व पूरे देश की छात्राओ के लिए एक मिसाल पेश की है और बताया है की लक्ष्य कितना ही कठिन हो मेहनत और लगन से भेदा जा सकता है।