इस बार ईद पर इको फ्रेंडली बकरे की कुर्बानी की अपील, मात्र 1 हजार रूपए में मिल रहा मिट्टी का बकरा..

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This time, an eco-friendly goat sacrifices appeal on Eid

राजधानी भोपाल:- इस कोरोना काल में अब बक़रीद बहुत नजदीक है इस स्तिथि में खबर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से आ रही है जहां इको फ़्रेंडली बकरे को ईद के अवसर पर मारने की अपील की जा रही है। संस्कृति बचाओ अभियान में मुस्लिमों से अपील की गई है कि वे इस बक़रीद में इको फ़्रेंडली बकरे की ही कुर्बानी दें।

आखिर क्या है ये इको फ़्रेंडली बकरे की कुर्बानी जानिए:
दोस्तों दरहशल हिंदुओं होली व दीपावली को इको फ़्रेंडली कर दिया है क्योंकि इनसे होने वाले नुकसानों को हम अब भली भांति जानते हैं होली में एक ओर जहां होलिका दहन में प्रदूषण व केमिकल से बने रंगों से त्वचा सम्बन्धी रोग हो जाते हैं वहीं दीपावली में पटाख़ों के कारण भारी मात्रा में प्रदूषण होता है। लेकिन कुछ सालों से इनसे होने वाले नुकसानों को देखते हुए उचित कार्यवाहि की गई है। लेकिन ये तो हिंदुओ के त्यौहार हैं लेकिन क्या ये देश मात्र हिंदुओ का मुश्लिम भाईयों का नहीं अल्लाह और ईश्वर एक है उसे किसी भी प्रकार की पशुबलि की आवश्कता तो नहीं वह यह तो नहीं बोल रहा कि मुझे किसी भी प्रकार के बेजुबान की बली चाहिए तो दोस्तों इसी को देखते हुए इको फ़्रेंडली बक़रीद मनाने का अभियान चलाया जा रहा हैं जहां किसी भी प्रकार के बकरे की कुर्बानी नहीं होगी उसके स्थान पर मिट्टी के बकरे या मोम के बने बकरे को प्रयोग किया जाना है। लेकिन देखना यह होगा इस अभियान का अनुसरण भारत में रह रहे कितने मुश्लिम भाई करते हैं।यह भी पढ़े: पति पत्नी के बीच बहस के चलते 13 महीने की मासूम बच्ची की मौत, पिता के गुस्से का शिकार हुई मासूम

मध्यप्रदेश से हुई शुरुआत:
मध्यप्रदेश में संस्कृति बचाओ मंच ने ईद पर कुर्बान होने वाले बकरे का विरोध किया है। अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने मिट्टी के बकरे बनाकर ईद में इस बात का अनुसरण करने के लिये मुश्लिम भाइयो को संबोधित किया उन्होंने दुर्गानगर में अपने साथियों और समर्थकों के साथ मिट्टी के बकरे बनाकर विरोध किया|उन्होंने बताया कि जब होली सूखी मनाई जाती है दीपावली में पर्यावरण सुरक्षित बनाने हेतु पटाखों पर बैन लगया जा चुका है तो अब ईद पर बकरे की कुर्बानी क्यों दी जा रही है|मुस्लिम भाई इस बात पर जरूर विचार करें हमारा मकसद किसी के धर्म को ठेस पहुंचाना तनिक भी नहीं है। अगर आपको हमारी बातें चुभी हो तो माफ करना।

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