घटना पिथौरागढ़ की है जहां तेंदुए के हमले से एक बालिका की मौत हो गयी बता दे बच्ची अभी 11 साल की थी और घास लेने के लिए खेतों की ओर गयी थी। और घास को घर लाते वक्त तेंदुए ने बालिका पर जोरदार हमला कर दिया हमला इतना जबरदस्त था कि बालिका की मौत हो गयी। शाम को बालिका अपनी माँ और चाची के लिए पशुचारण के लिए खेतों में गयी थी और घर लौटते वक्त अपनी माँ और चाची से आगे निकल गयी। बच्ची ने यही गलती की और आगे घात लगाए बैठे तेंदुए ने बच्ची को अपना शिकार बना दिया। जब मां और चाची ने ये सब देखा तो शोर मचाया जिसके बाद वहां स्थानीय लोग पहुंच गए और तेंदुआ वहां से भाग खड़ा हुआ लेकिन तबतक देर हो चुकी थी और लड़की पूरी तरह से मृत हो गयी थी।यह भी पड़े: Garhwal Rifles: देश सेवा की कसम खाकर भारतीय सेना में शामिल हुए 176 जवान
11 वर्ष की करिश्मा पुत्री श्री धर्मेंद्र राम छाना पांडे गांव पिथौरागढ़ जिला उत्तराखंड की रहने वाली थी और मां और चाची के साथ G. I. C. गुरंगचौड़ के पास घास लेने गयी थी। वापस लौटते वक्त घात लगाए बैठे तेंदुए ने करिश्मा पर हमला कर दिया शोर भी मचाया गया तेंदुए को भी भगाया गया बस कुछ नहीं हुआ तो वह था करिश्मा की जान को न बचा पाना। इस बड़ी दुख की घड़ी में करिश्मा के घर में सभी का रो- रो कर बुरा हाल है। सभी अपनी फूल सी बच्ची के लिए चिंन्तित व दुखी हैं। माँ पर जैसे दुखों का पहाड़ का कर टूट गया हो।यह भी पड़े: लद्दाख पर तैनाती हुई तो भारतीय सेना के खौफ से जाते हुए रोने लगे चीनी सैनिक, देखे वीडियो
घटना की जानकारी पाते ही कोतवाली रमेश तनवार और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची लेकिन सोए हुए वन विभाग का काम बस इतना है कि दफ्तर तक सीमित रहे क्या आज कल की एडवांस्ड दुनिया का जादू इनके ऊपर नहीं चला है। क्या प्रसाशन का फर्ज नहीं बनाता है कि जंगली जानवरों की मोमेंट पर नज़र रखी जाय खैर प्रसाशन को भी क्या कहना प्रसाशन व उत्तराखंड की आलसी जनता मिलकर उत्तराखंड को अविकसितता के कुएं में धकेल रहें हैं। खैर यह टॉपिक अलग है। यह भी पड़े:गढ़वाल के दर्शन बिष्ट ने IPL में टीम सिलेक्ट कर जीते 1 करोड़ रुपए, लॉकडाउन में छूट गई थी नौकरी…
इसके अलावा प्रसाशन से वन विभाग की टीम ने परिवार को मुवावजा देने की मांग की है। जी हां इसके बाद अब पिंजड़े लगाकर तेंदुए को पकड़ने की बात भी कही है। लेकिन सब कुछ मौत या हादसे के बाद ही क्यों ?? क्या किसी जंगली जानवर पर इंसानों की जान लेने पर ही उचित कार्यवाही की जानी चाहिये खैर उत्तराखंड में यही सब कुछ होता है और यह आगे भी होता रहेगा। साल बदल जाएँगे। लेकिन बदलाव देखने को नहीं मिलेगा।
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