दोस्तों आजकल के युग में लगभग हर खाद्य सामग्री आधुनिकीकरण की आड़ में विषैली बनती जा रही है लगभग हर खाद्य वस्तु द्वारा कोई न कोई बीमारी उत्पन्न होती है चलो ये तो रही अलग बात लेकिन हमारे जीवन से जुड़ा फास्टफूड जो हमको काफी पसंद आता है। और हम न चाहते हुए भी इससे मुह नहीं मोड़ सकते। यह जानते हुए भी की यह हमारे स्वास्थ्य तंत्र व पूरे शरीर की क्रियाओं पर बुरा प्रभाव डाल सकते है।
दोस्तों उत्तरखण्ड राज्य में बीते 1 साल से फ़ास्ट फूड्स के कुप्रभाव को कुचलने के लिये ऐसी मुहिम चलाई जा रही है जो वाकई काबिले तारीफ है। अभी तक फास्टफूड में प्रयुक्त होने वाला अधिकतर मैदा लोगों के पाचन तंत्र को खत्म कर रहा था। साथ ही इससे कोई पोषकतत्व भी नहीं मिलता। लेकिन अब उत्तराखंड के लोगों ने ऐसा जुगाड़ निकाला है। जिससे फास्टफूड से परहेज़ भी नहीं करना पड़ेगा और फास्टफूड्स खाकर भी सेहत घटने की बजाय बढ़ेगी। शायद आपको यह सब मज़ाक जरूर लग रहा हो लेकिन यही सच है। आखिर कैसे जानिए।
उत्तराखंड के लोगों ने फास्टफूड्स के प्रचलन को ध्यान में रखते हुए कुछ अमूल चूल परिवर्तन इसमें किये और ये परिवर्तन उनके लिए रामबाण साबित हुए।इसको भी पड़े: Garhwal Rifles: देश सेवा की कसम खाकर भारतीय सेना में शामिल हुए 171 नए जवान,वहीं आशीष सिंह को मिला सिल्वर मेडल..
●फास्टफूड्स में मैदे के स्थान पर मंडुए का किया प्रयोग: आप में से शायद कई लोग मंडुए के बारे में नहीं जानते होंगे। क्योंकि जैसे जैसे लोग गावों को छोड़ शहरों में जाकर बसने लगे वैसे वैसे मंडुआ लोगों की थाली से पृथक होता गया। आज के नए बच्चे शायद मंडुए के नाम व इसकी गुणवत्ता ने वाकिफ नहीं होंगे। लेकिन बता दें कि ये एक ऐसा पहाड़ी अनाज है। जो स्वादिष्ट भी है और पौष्टिक भी। इसमें ऐसे अनेक पोषकतत्व कूट कूट के भरे होते हैं जो शायद ही किसी दूसरे अनाज में हों। पहले इसका पहाड़ी इलाकों में रोटी बनाने के लिए प्रयोग होता था हालांकि अभी भी कई स्थानों में अभी भी इसका प्रचलन है लेकिन अधिकतर स्थानों से इसका नाम मिट चुका है। परंतु अब उत्तराखंड में मंडुआ नए स्वरूप में उभरकर सामने आ रहा है।यह भी पड़े:अकेले ही 300 चीनी सैनिकों को उतारा था मौत के घाट,अब होगा उनके नाम का मेला और बनेगा भव्य स्मारक..
मंडुए के आटे के मोमोस व स्प्रिंग रोल उत्तराखंड के कई स्थानों में बनाये जा रहें हैं। जो लोगों को काफी पसंद आ रहें हैं और इनका सेहत पर कोई नुकसान भी नहीं होगा।यह मंडुए के बने मोमोस व स्प्रिंग रोल्स वाकई काबिले तारीफ हैं। और इनका प्रचलन पौड़ी गढ़वाल में देखने को मिला है। पौड़ी और कोटद्वार शहर में।
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