कड़ी मेहनत और हार ना मानने की बहुत सी कहानियां तो हमने किताबों में खूब पढ़ी होंगी।लेकिन आज यह बात असल जिंदगी में उत्तराखंड की बेटी ने साबित की है।उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के माल गांव निवासी अंजू बिष्ट है।वह बचपन से ही बड़ी महनती और पढाई में अब्वल थी।उसने जीजीआईसी अल्मोड़ा के हाईस्कूल से वर्ष 2013 में दसवीं की परीक्षा पास की।लेकिन इसके बाद उसकी जिंदगी ने एक ऐसा रूप लिया जिससे उसकी जिंदगी में सारे रंग खत्म हो गए। अंजू की एक हादसे में दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी।परिवार वालों ने उसकी आंखो का इलाज बड़े से बड़े अस्पतालों में करवाना चाहा लेकिन हर जगह से उन्हे कोई आशा की किरण नहीं मिली। इसी कारण से वह करीब दो वर्ष तक घर पर ही रही।
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इस हादसे की वजह से परिवारजनों ने अंजू की पढ़ाई और सपने की उम्मीद छोड़ दी थी।लेकिन फिर उन्हे 2015 में हल्द्वानी के गौलापार में स्थित नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (नैब)संस्था के संपर्क में आने के बाद आशा मिलने लगी। वहां उन्होंने ब्रेल लिपि की शिक्षा ग्रहण की और फिर ब्रेल लिपि के माध्यम से जीजीआईसी हल्द्वानी से इंटर की परीक्षा पास की। फिर उन्होंने मुंबई से दो साल का डीएलएड का कोर्स किया।और अब वह भी नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (नैब) संस्था में दृष्टि हीन बच्चो को पढ़ा रही है और उनके जीवन में रोशनी के दिए जलाकर उजियारा कर रही है।उन्होंने अपनी हिम्मत और मेहनत से ना ही अपना सपना पूरा किया है बल्कि वह बहुत से हारे हुए लोगो के लिए एक मिसाल के रूप में उभरकर सामने आयी है।
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