पहाड़ के होनहार उत्तराखंड की गौरवशाली सैन्य परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। दीपक सिंह परिहार वायुसेना में अब पायलट बनेंगे। दीपक बागेश्वर जिले के रहने वाले हैं। दीपक का सीडीएस में चयन हो गया है। दीपक की इस सफलता से उसके परिवार और उसके जिले में काफी खुशी देखने को मिली हैं। दीपक के घर पर भी लोग बधाई देने पहुंच रहे हैं।
देशसेवा की सीख दीपक को अपने परिवार से मिली है। उनके दादा जी और पिता भी सेना में रहे हैं। ऐसे में वो भी सेना में जा कार के अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे। सौभाग्य से उन्हें अपना सपना पूरा करने का शानदार अवसर मिला है।दीपक का सीडीएस में चयन के बाद हैदराबाद की इंडियन एयरफोर्स अकादमी में प्रशिक्षण लेंगे। उन्हें वायुसेना में पायलट बनने का अवसर मिलेगा और दीपक बागेश्वर जिला मुख्यालय के नजदीक स्थित खोली गांव के रहने वाले हैं। दीपक का परिवार अभी मोटासेमल गांव में रहता है। सूबेदार मेजर रंजीत सिंह परिहार के बेटे दीपक ने दसवीं तक की पढ़ाई महर्षि विद्या मंदिर बिलौना से की। उन्होंने इंटर की परीक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल जालंधर से पास की है।
स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद दीपक ने इंजीनियरिंग की और वो एक साल तक इंडियन ऑयल में नौकरी कर चुके हैं। दीपक का सपना था कि वो सेना में अफसर बने। इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने थोड़े वक्त बाद इंडियन ऑयल की जॉब छोड़ दी और सीडीएस की तैयारी शुरू कर दी। पहले ही प्रयास में उनका सीडीएस में चयन हो गया।
दीपक इसी महीने हैदराबाद में इंडियन एयरफोर्स अकादमी में ज्वाइन करना है। दीपक ने अपनी उपलब्धि से अपने प्रदेश का मान बढ़ाया है। दीपक के पिता सूबेदार मेजर रंजीत सिंह भी अपने बेटे की सफलता से काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि दीपक हमेशा सेना में अफसर बनने का सपना देखा करता था। जिसमें वो कामयाब हो गया। और वहीं दीपक का कहना था कि उन्हें देश की सेवा करने का अवसर मिला है, ये उनके लिए बड़ा सौभाग्य है। दीपक ने सफलता का श्रेय परिजनों, गुरुजनों और अपनी मेहनत को दिया। दीपक के दादा राम सिंह परिहार भी सेना में रह चुके हैं। दीपक ने अपने सैन्य परंपरा को आगे बढ़ाया है। आशा है कि को लोग सैन्य में अफसर बनने की तैयारी कर रहे हैं, उन सबको दीपक की कहानी से सैन्य में जाने का जोश आया होगा।
यह भी पड़िए:अगर आपका सपना भी है भारतीय सेना में भर्ती होना, तो जानिए क्या क्या रास्ते है 12वी और ग्रेजुएशन के बाद…
यह भी पड़िए:देश की सबसे छोटी ऑर्गन डोनर बनी 20 महीने की धनिष्ठा, इससे 5 लोगो की जिंदगी बची..