21 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत और चीन दोनों ही देशों ने सीमा पर चाक चौबन्दी बढ़ा दी थी जिसके बाद दोनों ही देशों के सैनिक सीमा पर बढ़ते चले गए। लेकिन बातचीत के बाद बीते कुछ दिनों से दोनों देशों के सैनिक पर पीछे हट रहे है। हालांकि कई लोग दावा कर रहे थे कि भारत और चीनी सैनिक सीमा से पीछे हट गए हैं। लेकिन दोस्तों इस तरह की कुछ भी खबर सामने पूर्ण रूप से नहीं आयी है। क्योंकि अभी भी दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। अभी भी दोनों देशों के सैनिक पूर्ण रूप से पीछे हटने को लेकर रुकावटों का सामना कर रहें है।
बता दें कुछ अहम टकराव वाले हिस्सों में तो चीनी और भारतीय सेना के जवान मीटरों के फासले से आमने सामने खड़ें हैं। 14 जुलाई को दोनों देशों की कोर कमांडर स्तर की वार्ता हुई थी। इसमें दोनों ही ओर से जवानों को पीछे हटने की बात हुई थी। लेकिन अब भी थोड़ा बहुत तनाव जारी है। बता दें कि दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने को लेकर पूर्वी लद्दाख की पांगोंग लेक के आसपास कुछ भी नहीं बदला है। अभी भी दोनों ही देशों के जवान आमने सामने खड़े है। लेकिन अच्छी बात यह है कि दोनों ही छोर से जवानों की संख्या में कमी आयी है।
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सूत्रों के हवाले से नदी के दोनों ओर भारत और चीनी सैनिकों के बीच की दूरी लगभग 3 से 5 किलोमीटर तक है। हालांकि पहाड़ी इलाकों में दूरी किलोमीटर से घटकर मीटर तक पहुंच गई है। इस स्तिथि से पता चलता है कि झील के आसपास सैनिकों का पूरी तरह से पीछे हटना अभी भी संभव नहीं हुआ है। यह वह क्षेत्र है जो भारत के अधिकार में है। लेकिन वहां चीनियों ने फिंगर 4 पर डेरा डाला था। आपको बता दे, पहाड़ से नदी तक आने वाले रास्तों को फिंगर्स कहा जाता है।
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