श्रीनगर:- पात्रा के पिता की सात साल पहले मौत हो गई थी जिसकी वजह से उसको अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। वह सियालकोट की एक कपड़े की फैक्टरी में काम करता था। फिर वह एक अनस नाम के व्यक्ति से मिला जो लश्कर ए तैयबा के लिए लोगो की भर्ती करता था। मेरे पास कोई काम न होने के कारण मैं उसके पास चला गया फिर उसने मुझे 20 हज़ार रुपए दिया और बाकी के 30 हज़ार रुपय बाद में देने को कहा। पात्रा ने कहा किखैबर देलीहबीबुल्ला शिविर में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई ने उसे हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी।
पात्रा ने कहा कि जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में लड़ाई के समय सेना ने पाकिस्तानी आंतकवादी को पकड़कर सीमापार बैठे अपने साथिओ से कहा कि उसे उसकी माँ के पास भेज दिया जाए। पाकिस्तानी आंतकवादी किशोर अली बाबर पात्रा ने आर्मी में बुधवार को भेजे गए वीडियो में बताया कि मैं लश्कर ए तैयबा के एरिया कमांडर, आईएसआई और पाकिस्तानी सेना से अपील करता हूँ कि मुझे मेरी माँ के पास भेज दिया जाए। जैसे उन्होंने मुझे भारत भेजा था।
18 सितंबर को सेना अभियान शुरू हुआ था जो कि पूरे नौ दिन चला था। 26 सितंबर को उरी में हुई लड़ाई के समय पात्रा की पकड़ लिया। और एक पाकिस्तानी जबरदस्ती भारत मे घुस रहा था और मारा गया।
पात्रा ने कहा कि पाकिस्तानी आंतकवादी आईएसआई और लश्कर ए तैयबा के बारे में झूठ बोल रही है। भारतीय सेना दुसरो का खून कर रही है। लेकिन यहाँ पर ऐसा कुछ नही है। मैं अपनी माँ से मिलकर उनको बताना चाहता हूं कि भारतीय सेना मेरे साथ कोई बुरा बर्ताव नही कर रही। मैं दिन में पांच बार अजान सुनता हूँ। भारतीय सेना का व्यवहार पाकिस्तानी सेना से बिल्कुल अलग है। मुझे ऐसा लगता है कि कश्मीर में शांति है। और वही पाकिस्तानी कश्मीर हमारे फायदा उठाते है और हमको यहां भेजते है।
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