उत्तराखंड का जाबांज रिटायर…देश को दिए 39 साल,2019 में मिला था उत्तम युद्ध सेवा मेडल

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Retirement of Lieutenant general anil kumar bhatt

धन्य है वह भूमि जहां से देश की सीमाओं की रक्षा करने हेतु न जाने कितने युवक आते हैं और न जाने कितने सौर्य के इतिहास रचकर देश पर या तो कुर्बान हो जाते हैं या तो देश की सीमाओं में रहकर नए इतिहास की गाथा लिखने के लिये ततपर रहते हैं हां दोस्तों बात हो रही है देवभूमि के रणबांकुरों की जहां के दो घातक रेजीमेंटों से आप रूबरू तो ज़रूर होंगे अगर नहीं है तो गूगल पर सर्च कीजिये दैनिक सर्किल जहां आपको अनेकों सौर्य की कहानियां पढ़ने को मिल जाएंगी खैर छोड़िये आज आपको रूबरू करवाते है देवभूमि उत्तराखंड के एक और वीर सपूत जिनका नाम है। लेफ्टिनेंट जनरल AK भट्ट जिनको 30 जून को रिटायरमेन्ट मिलां अब आप बोलेंगे की इसमें क्या बड़ी बात है। तो बताते हैं आपको

दरहशल अपने दिमाग का ऐसा चक्र चलाया इन्होंने की जब भारत की पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर दुशमनों का बेड़ा हिंदुस्तान की धरती पर आतंकवाद फैलाने के लिये कोशिश कर रहा था। तब ये ही थे जिनकी कुशलता सौर्य ओर ताक़त के चलते हमको जीत प्राप्त हुई। ये लगभग 39-40 साल तक देश की सेवा में सेवानिवृत्त रहे।लेफ्टिनेंट जनरल अनिल भट्ट ने अपने सेवाकाल में कई चुनौतियों का सामना करते हुए न जाने कितनी सफलताओ को गले लगा लिया। जिनमें से एक थी पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक। पाकिस्तान को दी गयी सर्जिकल स्ट्राइक में इनका बड़ा योगदान था इतना ही नहीं 2017 में हुए डोकलाम विवाद में इन्होंने बहुत ही लगन और काबिलियत के साथ मश्ले को सुलझाने में बड़ा योगदान दिया।

कहाँ के हैं ये अनिल भट्ट:-
मूल रूप से उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल के कीर्ति नगर के खतवाड़ गांव के हैं लेफ्टिनेंट अनिल कुमार भट्ट जिन्होंने अपनी प्राथमिक से लेकर कॉलेज तक कि पढ़ाई मसूरी में की। क्योंकि ये गांव टेहरी में न रहकर लगभग 40 45 सालों से देहरादून के मसूरी हिल स्टेशन में अपने परिवार के साथ रह रहें है। पढिये आगे क्या है खास।।यह भी पढ़े:Garhwal Rifles: देश रक्षा की कसम खाकर 192 जवान भारतीय थल सेना में हुए शामिल

एक फौजी पिता का बेटा होने के नाते उन्हीने भी शुरू से मन बना लिया फौज में जाने का औऱ 19 दिसम्बर 1981 में 9वीं गोरखा राइफल्स में अपनी मेहनत के दम पर भर्ती होकर बचपन में देखे सपने को भी पूरा कर लिया।भट्ट जी कमांड ओर स्टाफ दोनों पदों पर सेवानिवृत्त रहे। गोरखा राइफल का नेतृत्व करने के साथ साथ इन्होंने ब्रिगेडियर के तौर पर 163 माउंट ब्रिगेड का कार्यभार भी निभाया। ये 15कोर कमांडर के साथ साथ 21 माउंटेन डिवीज़न में भी रहे। बात है 2018 कि जब कश्मीर में आतंकियों के साथ खतरनाक मुठभेड़ चल रही थी और इसी मुठभेड़ में भारतीय सेना ने लभगभ 250+ आतंकी ढेर कर दिए। साठ आतंकियों को जिंदा पकड़ने के साथ 4 आतंकियों ने भारतीय सेना के सामने पाव पसार लिए।आज भले ही यह वीर सपूत रिटायर हो गया है लेकिन इनकी यादे हमारे दिल में हमेशा रहेंगी। हम आशा करेंगे कि इनके जैसे देवभूमि से और भी सपूत आगे आएं। दैनिक सर्किल की ओर से इनको सलाम बधाई और जय हिन्द

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