मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि फसलों, वनस्पतियों, बगीचों और बागों पर कीटनाशकों का छिड़काव करें। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि रेगिस्तानी टिड्डों द्वारा होने वाले हमलों को रोका जा सके। कृषि विभाग के संयुक्त निर्देशक एपी सैनी (A P Saini) ने बुधवार को एक एडवाइजरी (Advisory) जारी करते हुए अधिकारियों को कहा कि राजधानी दिल्ली में टिड्डों के हमले को रोकने के लिए जनता और किसानों को जागरूक कार्यक्रम आयोजित किया जाए।
“जैसा कि टिड्डियों का झुंड दिन में उड़ता है, और रात के दौरान आराम करता है, इसे रात में आराम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए,” सलाहकार ने कहा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को क्लोरपाइरीफोस कीटनाशक और मैलाथियान के छिड़काव को करने के लिए कहा। इसके अलावा, दिल्ली का वन विभाग अपनी नर्सरी में पौधशालाओं (saplings) को रेगिस्तानी टिड्डों के हमले से बचाने के लिए उन्हें पन्नी (polythene) से ढकने का विचार बना रही है।
प्रिंसिपल चीफ कंसर्वेटर ऑफ फोरेस्ट ईश्वर सिंह ने कहा, “पेड़ों को ढंकना संभव नहीं है। हम नर्सरी के पौधों को पॉलिथीन से ढकेंगे। इसके साथ साथ अधिकारी ने यह भी कहा कि इस भीषण गर्मी में पौधों को पॉलीथिन से ढंकना भी नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए जब वन विभाग यह सुनिश्चित कर लेगा कि दिड्डों का झुंड दिल्ली की ओर बढ़ रहा है, पौधों को केवल तभी ढका जाएगा। ईश्वर सिंह ने यह भी कहा कि दिल्ली जैसे शहर में रसायनों का छिड़काव पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है।
भारत हाल ही के दिनों में सबसे खराब डेज़र्ट लोकस्ट से जूँझ रहा है। फसल नष्ट करने वाली टिड्डों के झुंड ने पहले राजस्थान पर हमला किया और अब पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश तक फैल गया है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में चार प्रकार के टिड्डों की प्रजाति पाई जाती है रेगिस्तानी टिड्डे, प्रवासी टिड्डे, बॉम्बे टिड्डे और पेड़ के टिड्डे। इन चारों में से रेगिस्तानी टिड्डे को सबसे विनाशकारी माना जाता है। ये एक दिन में 150 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम है। यह टिड्डेअपने शरीर के वजन से अधिक खा सकता है। एक वर्ग (Square) किलोमीटर के टिड्डे झुंड में लगभग 40 मिलियन टिड्डे होते हैं, जो 35,000 लोगों के जितना ही खाना खातें हैं।