कुछ कहानियां एसी होती है जो हमे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं ऐसी ही एक कहानी है आईएएस कैडर इरा सिंघल की । बता दें कि वह शारिरिक रूप से दिव्यांग है
उनकी सफलता कोई चमत्कार नहीं बल्कि उनके समर्पण, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत का परिणाम है। जैसा कि कहा जाता है भगवान उनकी मदद करते हैं जो खुद की मदद करते हैं! आइए जानते हैं UPSC IAS टॉपर तक IRA का सफर कैसा रहा ?
इरा सिंघल आईएएस टॉपर हैं। लक्ष्य इतना आसान नहीं था। अपनी विकलांगता के बावजूद, इरा अपने जीवन में जो चाहती है उसे हासिल करने के लिए वह कड़ी मेहनत करती है। परिवार और दोस्तों की प्रेरणा से। उन्होंने अपने लक्ष्य के आगे अपनी विकलांगता को कभी हावी नहीं होने दिया।
इरा सिंघल का जन्म 31 अगस्त 1983 को मेरठ में हुआ था। उसे स्कोलियोसिस की बीमारी है, जिसके कारण वह ठीक से चल नहीं पाती है और उसकी लंबाई कम है।
उनके पिता एक इंजीनियर हैं और उनकी मां एक बीमा सलाहकार हैं। उसने हमेशा अपने माता-पिता का हौसला बढ़ाया और मंजिल तक पहुंची।
इरा ने अपनी स्कूली शिक्षा सोफिया गर्ल्स और लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल दिल्ली से पूरी की है। अपनी विकलांगता के बावजूद, उन्होंने आगे की पढ़ाई की और नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपनी इंजीनियरिंग पूरी की और फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय से मार्केटिंग और फाइनेंस में एमबीए किया।
उन्हे शारीरिक अक्षमता के कारण तीन बार रिजेक्ट कर दिया गया था उन्होने 2014 के एक फैसले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में अपनी बात रखने के लिए जमकर संघर्ष किया जिस से उसे ध्यान में रखते हुए एक राजस्व सेवा पद दिया गया इसी के साथ वह आईएएस कैडर में शामिल होने के योग्य हो गईं और अपने विकलांग होने के बावजूद भी उनकी पहचान सम्मानजनक व्यक्तित्व के आधार के रूप मे बन चुकी है।
इरा ने न केवल अपनी विकलांगता के खिलाफ लड़ाई लड़ी, बल्कि अपनी अदम्य भावना से विकलांगों के खिलाफ भेदभाव की दीवार को भी गिरा दिया।