वसई-विरार क्षेत्र में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एक 58 वर्षीय डॉक्टर ने रविवार को दम तोड़ दिया। वसई के एक प्राइवेट अस्पताल में 10 दिनों तक कोरोना से लड़ रहे डॉ हेमंत पाटिल की मौत हो गयी। वह क्षेत्र के पहले मरीज थे जिन्हें प्लाज़्मा दिया गया था।
नालासोपारा स्थित सठिया ब्लड बैंक को बुधवार को एक निवासी ने प्लाज़्मा डोनेट किया था। उसके बाद डॉ पाटिल को प्लाज़्मा दिया गया था। लेकिन डॉ पाटिल पहले से ही मधुमेह से पीड़ित थे और उन्हें उच्च रक्तचाप भी था। इसी कारण प्लाज़्मा थैरेपी भी उनपर बेअसर रही। वसई-विरार नगर निगम (VVMC) के एक पूर्व नगरसेवक डॉ पाटिल ने कौल सिटी में कोविड अस्पताल और वसई में अग्रवाल कोविड केंद्र स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
महामारी की शुरुआत के दौरान, डॉ पाटिल ने प्राइवेट मेडिकल चिकित्सकों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह उन कुछ डॉक्टरों में से एक थे जो कोरोनोवायरस के डर के बावजूद मरीजों को देखते रहे। यह भी पढ़े: सचिन पायलट नहीं हो रहे हैं भाजपा में शामिल, खुद उनके एक सहयोगी ने इसकी जानकारी दी
वह कोविड-19 से लड़ाई की तैयारी में स्थानीय डॉक्टरों की मदद करने में भी शामिल थे। वह अक्सर लोगों से मिलते और वायरस के बारे में जागरूकता फैलाते हुए देखे जाते थे। उनके अंतिम संस्कार में गिने चुने ही लोग थे। उनकी पत्नी जिनकी रिपोर्ट भी पॉजिटिव आयी, उनका भी अंधेरी के एक अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। रविवार को वसई-विरार क्षेत्र में 269 नए कोरोना के मामले सामने आए हैं। इसके चलते अब पूरे क्षेत्र में कुल मामलों की संख्या 7,613 पहुंच गई है। इस क्षेत्र में अब तक 155 लोगों की महामारी से मौत हो गयी है। आपका पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल अब गूगल एप्प पर भी फॉलो करने के लिए क्लिक करे…. Dainik circle news par