मुंबई: आए दिन कुछ न कुछ घटनाएं आती ही रहती है।महाराष्ट्र के मलंगगढ़ में मछिंदरनाथ समाधि में माघ पूर्णिमा के अवसर पर 28 मार्च के रात 8 बजे करीब 50 से 60 लोग आरती करने के लिए आए हुए थे।इन लोगो को आरती की इजाजत शिवसेना नेताओं ने दी।लेकिन इसी दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने अल्लाह-हु-अकबर के नारे लगाने शुरू कर दिए जिससे बहुत तनावपूर्ण स्थिति हो गई। कोरोना काल के इस समय में ज्यादा लोगों को आरती करने की इजाजत नहीं दी गई थी।आरती चल ही रही थी कि तभी 50 – 60 मुस्लिम लोग वहां आकर ‘अल्लाह-हु-अकबर’ के नारे लगाने लगे।इस कारण से दोनो पक्षों में कहासुनी साथ साथ हातापाई , धक्कामुक्की हो गई।मामला यहां तक पहुंच गया की पुलिस को बीच बचाव में आना पड़ा।लेकिन मुस्लिम पक्ष के कुछ लोगों ने पुलिसवालों का कॉलर तक पकड़ लिया और उन्हें धक्का दे दिया।
मामले का कारण यह था कि नियमो के अनुसार धार्मिक स्थलों में 5 से ज्यादा लोगों के एक साथ आने पर रोक है।इस नियम का पालन दरगाह में हुआ था।लेकिन उनका कहना था कि मंदिर में इतने लोग इकट्ठा केसे हो गए? इसीलिए उन्होंने इस बात का विरोध करने के लिए यह रास्ता अपनाया।साथ ही यहां आरती कर रहे बहुत से आयोजकों के खिलाफ कोविड ऐक्ट के तहत केस दर्ज करवाया गया है। इस पूरे मामले में पुलिस ने मुस्लिम पक्ष के 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
इस समाधि स्थल को लेकर एक बार पहले भी बवाल हो चुका है। मुस्लिम लोगो का कहना है कि यह हाजी मलंग बाबा की मजार है।उनका कहना है कि मंगल बाबा 13 सदी में यमन से कल्याण इस जगह आए और 80 के दशक के दौरान शिवसेना ने इस मसले को अपना सियासी हथियार बनाया । जबकि हिंदुओं का कहना है कि यह समाधि मछिंदरनाथ की है।
उनका कहना है कि पुराने समय में पेशवाओं ने केतकर नामक एक ब्राम्हण परिवार को यहां पुजा करने की जिम्मेदारी दी थी। तब से लेकर यहां हर साल हिंदू रिति-रिवाज के अनुसार पूजा होती आ रही हैं।यहां हर साल ही पुर्णिमा की रात भव्य आरती होती है।इस बात पर काफी समय से विवाद भी चल रहा है। यहां की जमीन पर एक एक हिस्से पर दोनो पक्षों ने अपना कब्जा किया है।