दोस्तों उत्तराखंड से वन विभाग की लापरवाही की तमाम खबरें बीते दिनों सामने आ रहीं हैं। हम जंगलों में रहने वाले जानवरों से बाहरी प्रेम की बातें करते रहतें हैं लेकिन जब वाकई उनको हमारी जरूरत होती है तब हम चुपचाप बच निकलने के बहाने ढूंढते हैं। इसी बीच हरिद्वार स्तिथ राजाजी नेशनल पार्क के पश्चिमी रेंज से मानवता को झंजोड कर रख देने वाली ख़बर सामने आ रही है जहां एक मादा हाथी का कंकाल डेढ़ महीने से एकदम खुला पड़ा रहा लेकिन इस बीच सभी वन और पार्क कर्मचारियों की लापरवाही को देखा जा सकता है। जिन्होंने इस मादा हाथी के कंकाल की ओर 1 महीने से भी ज्यादा समय गुजर जाने के बाद ध्यान नहीं दिया।
यह दर्शाता है मनुष्य दिखावे और जानवरों से होने वाली अच्छी कमाई के लिये अर्थात अपने मतलब के लिये जानवरों को अपनाता है वरना बहुत कम ही ऐसे हैं जो लोग जानवरों से वास्तव में प्रेम करते हैं। डेढ़ महीने से जो शरीर इस हथिनी का वहां खुले में पड़ा रहा यह दर्शाता है कि वन विभाग के कर्मचारी अपने कार्य के लिए कितनी लापरवाही पेश कर रहें हैं।
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वन्य जीव विभागों या नेशनल पार्कों में कर्मचारियों का काम होता है कि जीवों के स्वाथ्य से लेकर जीवों की रक्षा की जाय इसीलिये उनको वेतन भी दिया जाता है लेकिन हरिद्वार के राजाजी नेशनल पार्क से मादा हाथी की बेवजह मृत्यु के बाद कर्मचारियों की लापरवाही साफ देखी जा सकती है। हाथी की मृत्यु के कारण क्या है ये अभी तक किसी को नहीं पता। हाथी हो क्या कोई बीमारी थी या उसका किसी ने शिकार किया है वजह चाहे जो भी हो इसकी जिम्मदारी वन विभाग की है साथ ही अब इस कंकाल को पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया गया है जिसमें रिपोर्ट आने के बाद हाथी की मृत्यु का असली पता लग ही जाएगा तथा इन कर्मचारियों पर कुछ न कुछ कार्यवाही करनी चाहिए अगर ये अपना काम नहीं कर सकते तो अन्य भी लोग हैं इस नौकरी के लिये। जब ये लोग अपनी पूरी तनख्वा लेते हैं तो अपनी जिम्मेदारियों को सही से क्यों नहीं निभाते।
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