साल 2014 में युवती ने एक परिवार के 4 लोगों पर दुष्कर्म और धमकी देने का आरोप लगाया था। लेकिन अदालत द्वारा मामले की सुनवायी के सामने आया कि युवती ने परिवार पर झूठा मुकदमा दर्ज करवाया था। युवती ने इसके लिये एक झूठी कहानी भी रची थी। युवती ने पूछताछ में अदालत को कहा कि यह शिकायत गलतफहमी की वजह से हो गयी। युवती ने कानून का दुरुपयोग किया जिसके कारण बेकसूर परिवार को इतने लंबे समय तक अदालत के चक्कर लगाने पड़े।
अब मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट की अदालत ने युवती के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया है। युवती के खिलाफ पर्याप्त सबूत भी मौजूद है। युवती के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराने और परिवार को मानसिक और सामाजिक चोट पहुंचाने के तहत आइपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जा चुका है। यदि अपराध सच साबित हुआ तो युवती को कम से कम 7 वर्ष की जेल होगी या जुर्माना भरना पड़ेगा।
चलिये अब जानते हैं कि ऐसा क्या हुआ था जिसके कारण युवती ने बेकसूर परिवार के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज किया। दरअसल युवती ने साल 2014 में इस परिवार के 4 सदस्यों के ऊपर FIR दर्ज करवायी थी। तब युवती ने मनघडंत कहानी बनाकर पुलिस को कहा कि युवक ने उसके साथ दुष्कर्म किया था।
युवती ने यह भी कहा कि इस काम में युवक के माता पिता और बहन ने उसका साथ दिया था। तब पुलिस ने चारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन 6 साल बाद अब साबित हुआ कि युवती ने परिवार के खिलाफ झूठा केस दर्ज किया था। उसने मनघडंत कहानी बनाकर परिवार को सामाजिक और मानसिक चोट पहुंचाई है। इसके बाद मेट्रोपोलिटन मैजिस्ट्रेट की अदालत ने युवती के ऊपर मुकदमा दर्ज किया। यदि युवती लर लगे आरोप सच साबित हुए तो उसे कम से कम 7 साल की जेल होगी या फिर जुर्माना भरना पड़ेगा।