दोस्तों जहां एक ओर कुछ लोग छोटी छोटी मुसिबतों के आने पर आत्महत्या करने पर आ जातें हैं वहीं कुछ लोग संघर्ष करके आने वाले समय में अच्छा जीवन यापन करते हैं। लेकिन कुछ लोगों को जीवन भर संघर्ष करने के बाद भी सुख चैन का जीवन यापन करने का मौका नहीं मिलता। क्योंकि सन्तान आने वाले दिनों में अपने माँ बाप के गरीबी में गुज़ारे दिनों में एहसान को भूल जाती है। दोस्तों आज हम आपको ऐसी महिला से रूबरू करवाएँगे जिसके ऊपर मुसिबतों का पहाड़ टूट गया लेकिन महिला ने हार नहीं मानी। धन्य हैं ऐसी महिला। दोस्तों कहानी सुनने के बाद आप भी भावुक हो उठेंगे।
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मित्रों मूलरूप से पौड़ी की कठुड़ गाँव में रहने वाली इस महिला ने ऐसा कुछ कर दिखाया जो उन लोगों के लिए सबक हो सकता है जो हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। और कुछ करते नहीं है। अब आप सोच रहें होंगे इस महिला ने ऐसा क्या कर दिया जो आज हमको इनके विषय में बात करनी पड़ रही है। आपको बता दें कि कठुर गांव पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड में रहने वाली इस महिला के पति का किसी कारणवश देहांत हो गया और चार बच्चों की शिक्षा से लेकर पालन पोषण की सारी जिम्मेदारी इस महिला के ऊपर आ पड़ी। गाँव में उपयुक्त रोज़गार के अवसर न होने के कारण इस महिला ने हल को हथियार बनाया औऱ लोगों के खेतों में हल लगाने का काम शुरू किया। 3 बेटियों और 1बेटे की यह विधवा माँ कभी भी हारी नहीं इन्होंने 1 या 2 नहीं बल्कि 15 परिवारों के खेतों में हल लगाकर अपने घर को चलाया अपने चार बच्चों को पढ़ाया। दोस्तों ऐसी महिलाओं के हम बस इतनी मदद कर सकते हैं कि इनको दूर दूर तक शेयर करें। उत्तराखंड की उस सरकार तक इस महिला की कहानी पहुंचाए जो नींद से जाग नहीं रही। दोस्तों गावों में ऐसी महिलाओं के लिये रंच मात्र भी रोज़गार का अवसर नहीं है। तो भला ऐसे में गांवों में कौन रहेगा। तब लोग बात करते हैं उत्तराखंड में पलायन क्यों हो रहा है? खैर जो भी इस महिला की मेहनत वाकई काबिले तारीफ है। दैनिक सर्किल की टीम की ओर से इस महिला के सराहनीय प्रयास के लिए सम्मान.…..
दोस्तो भारत के तमाम पिछड़े गांव है जहां कोई भी मीडिया नहीं पहुंचा वहां की खबरों को देशवासियों तक पहुंचना हमारा काम है,आप भी हमारा हौसला बड़ाईए और हमको गूगल न्यूज़ पर आज ही फॉलो करें….Dainik Circle News par