3 लाख फौजियों के सामने 80 हजार आतंकी, अफगानिस्तान में अभी भी जंग जारी…

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3 lakh afghan soldiers against 80 thousands terorists

तालिबान दिन-रात अफगानिस्तान पर हावी होता जा रहा है। वह छोटे गांव और कस्बों में प्रभावी रूप दिखा रहे हैं। भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान ने कारोबार व व्यापार के रूट में कब्जा करना शुरू कर लिया है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति के बयान से यह माना जा रहा है कि देश बहुत गहरे संकट में है और आने वाले दिनों में तालिबान और अफगान सेना के बीच जंग के हालात बढ़ सकते हैं। कतर की राजधानी दोहा में तालिबान और अफगानिस्तान सरकार और राजनीतिक पार्टियी के बीच हुई बातचीत से काफी उम्मीद थी।

यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बकरीद के अवसर पर तालिबान युद्ध समाप्त करने के लिए राजी हो जाएगा। लेकिन आखिरी वक्त पर वह नहीं गए। गुलबुद्दीन हिकमतयार गुट के प्रतिनिधि समेत 10 प्रतिनिधियों ने इसमें हिस्सा लिया था। अमेरिका की तरफ से शांतिदूत जलमय खलीलजादा भी दोहा में मौजूद थे। आपको बता दें कि शनिवार के पहले और रविवार के दूसरे बातचीत के दौरे के बाद तालिबान के नेता अब्दुल गनी ने युद्ध को समाप्त करने पर चुप्पी साध ली थी।

इससे पहले भी अब गाने सामने युद्ध बंद करने के दो प्रस्ताव दिए थे जिसमें पहला प्रस्ताव यह था कि अफगानिस्तान के अलग-अलग जेलों में करीब 7000 बंद लोगों को रिहा कर दिया जाएऔर उसके तमाम नेताओं के ऊपर से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध हटा दिए जाएं। इस विषय में बातचीत भी हुई लेकिन अंत में कोई नतीजा नहीं निकल पाया।

15 देशों ने की शान्ति की अपील:- अफगानिस्तान और तालिबान के बीच हुई 2 दिन की बातचीत से कोई ठोस कदम तो नहीं उठाया गया लेकिन दोनों देशों की सरकारों के बीच सहमति हुई कि वह देश की नीब को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। दोनों देशों में शांति बनाए रखने के लिए अमेरिका समेत दर्जनभर देशों ने शांति की अपील की। इन देशों में देश जो शामिल है- अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, चेक गणराज्य, ब्रिटेन, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड, स्वीडन समेत अन्य ने तालिबान से शांति की अपील की।

भारत का भी कहना है कि अफगानिस्तान के लोकतंत्र और लोगों की खुशहाली के लिए युद्ध पर विराम लगना जरूरी है तालिबान को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। तालिबान के नेता मौलवी हिबातुल्लाह अंखुजादा के बयान से शांति की उम्मीद बढ़ी है। उन्होंने कहा है कि तालिबान देश में राजनीतिक समाधान चाहता है।

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