कोरोना के बाद अब देश में बड़ने लगे ब्लैक फंगस के केस.. पड़िए पूरी ख़बर..

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black fungas started growing in Jodhpur

कोरोना महामारी के साथ – साथ अब बहुत से मरीजों को ब्लैक फंगस की भी दिक्कत आ रही है। और इस बीमारी में हैरान कर देने वाली बात ये है की, इस में मरीज के आंख, जबड़ा तक निकालना पढ़ रहा है। और बताया जा रहा है की, इससे कई संक्रमितों की जान भी जा चुकी है। हम आपको बता दें की, ब्लैक फंगस अगर यदि मरीज के नाक से सिर में चला गया तो जान जाने का खतरा होता है। वहीं, अब जोधपुर में ऐसे 50 से अधिक केस अकेले एम्स में आ चुके हैं। अस्पतालों में मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं, बाजारों में भी इलाज के लिए जरूरी दवाएं भी गायब हो गई हैं। बताया जा रहा है की, जोधपुर में इस बीमारी का संकट ज्यादा है क्योंकि, वहां अब तक पॉजिटिव आए मरीजों में 60 प्रतिशत से अधिक को डायबिटीज और दूसरी इम्यूनिटी कम होने वाली बीमारियां थीं। वहीं, जनवरी से अब तक 61588 मरीज कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 60 प्रतिशत से अधिक डायबिटीक मरीजों को अब ब्लैक फंगस से सावधान रहने की जरूरत है।

खबर है की, ब्लैक फंगस डायबिटीक मरीजों में होने की संभावना अधिक होती है, और ऐसे मरीजों की इम्यूनिटी बहुत कम हो जाती है। एमडीएमएच और एमजीएच में एक-एक केस मिल चुका है, इसके साथ ही अब गांवों में भी ब्लैक फंगस के केस मिलने लगे हैं।अकेले एम्स में पिछले पांच माह में 50 से ज्यादा केस आ चुके हैं। एम्स में ब्लैक फंगस के केस जोधपुर के अलावा आसपास के जिलों से भी आ रहे हैं। अभी वर्तमान में 18 मरीज एम्स के ईएनटी विभाग में ब्लैक फंगस के भर्ती हैं। इनमें चार जोधपुर, चार पाली, 5 बाड़मेर और अन्य जिलों के हैं। वहीं, आपको जानकारी दे दें की, चार दिन पूर्व एम्स में बाड़मेर निवासी 60 वर्षीय महिला को ब्लैक फंगस से परेशानी हुई। उसका ऑपरेशन कर आंख और गाल का भाग निकाला गया। वहीं, बताया जा रहा है की महिला कोरोना नेगेटिव थी, और उनका सीटी स्कोर 5 था। और बताया जा रहा है की, महिला ने गांव में बिना किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह के स्टेरॉयड लिया, और ऊपर से महिला डायबिटीक भी थी।

इसके चलते शुगर कंट्रोल नहीं हो पाई और ब्लैक फंगस इतना तेजी से बढ़ा कि वह नाक से आंख और गाल में पहुुंच गया। 11 मई को एम्स ईएनटी विभाग में महिला का ऑपरेशन किया, जिसके बाद से वह एम्स में भर्ती है।वहीं, इस पर डॉ. गोयल ने बताया कि, चेहरे पर सूजन, नाक, गाल और आंख पर हाथ लगाने पर कोई एहसास ना होना, नाक में काली पपड़ी, आंख में सूजन, आंख या नाक का लाल होना। यदि ऐसे लक्षण हैं तो वह बिना देर किए ईएनटी के डॉक्टर को दिखाएं, और बिना डॉक्टर को दिखाए, उनकी सलाह के कोई दवा या स्टेरॉयड ना लें।

ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. अमित गोयल ने बताया कि ये कोई भी ना माने कि मुझे ब्लैक फंगस नहीं हो सकता है। ब्लैक फंगस हम सब के शरीर में है, लेकिन यह सब को नहीं होता है, लेकिन ब्लैक फंगस एक्टिव उन्हीं के शरीर में जल्दी और तेजी से होता है जो या तो डायबिटीज मरीज हैं या फिर उनकी इम्यूनिटी कमजोर है। इम्यूनिटी कम होने के चलते कोरोना होता है और साथ ही इलाज के लिए दिए जाने वाले स्टेरॉयड से कई मरीजों का शुगर लेवल हाई होते ही ब्लैक फंगस शरीर में एक्टिव हो जाता है और जबड़े, नाक, आंख, गाल को खाना शुरू कर देता है। ऐसे में संक्रमित क्षेत्र को पूरा ही निकालना पड़ता है।

इसके अलावा डॉ. गोयल ने बताया कि, सबसे ज्यादा जरूरी है गांव में इलाज करने वाले डॉक्टरों काे शिक्षित करना। वहीं मरीज को बिना जरूरत के एंटी फंगस दवाई ना दें। कोरोना होने पर भी अधिक स्टेरॉयड नहीं दें, क्योंकि कोरोना में देखा गया है कि मरीज को जरूरत नहीं होने पर भी स्टेरॉयड दिया जाता है जो कई बार शुगर की बीमारी का भी कारण बन रहा है।डायबिटीज मरीज को स्टेरॉयड लगने के साथ ही डायबिटीज तेज होती है, जिससे इम्यूनिटी कम होती है और ब्लैक फंगस होने की संभावना बढ़ जाती है। डॉ. गोयल ने बताया कि कोरोना मरीजों में भी डॉक्टर पहले ही दिन से स्टेरॉयड देने की आदत को रोकें।

इसके अलावा बैक्टीरिया साइनोसाइटिस होने पर भी एंटी फंगस ना दें। और इस नई बीमारी में इलाज में करीब 2 लाख तक का खर्च हो जाता है। लेकिन, जिसके बावजूद भी संक्रमित भाग को अलग करना ही पड़ता है। शुरुवाती स्टेज पर डॉक्टर के पास आते हैं, तो मरीज को सर्जरी और दवाएं देकर बचाया जा सकता है। और अगर यब्लैक फंगस अधिक फैल गया है तो बाद में मरीज का वह पूरा भाग सर्जरी कर निकालना ही पड़ता है। कई बार मल्टीपल सर्जरी की जाती है। अंत में प्लास्टिक सर्जरी कर हटाए हुए भाग को फिर से बनाया जाता है। इसलिए आप सभी भी बच कर रहिए। घर पर रहें सुरक्षित रहें।

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