उत्तराखंड के चंपावत में एक घर में नन्हें मेहमान के स्वागत की तैयारी जारी थी, परन्तु खुशिया पल भर में बिखर जाएगी इसका अनुमान किसी को नहीं था।चंपावत में रहने वाली 28 साल की सीता गर्भवती थी।बच्चे की आने की खुशी मे परिवार में खुशी का आगमन था। घर मे महमानों के स्वागत की तयारी जारी थी I पर अफसोस पहाड़ों में पूरी तरह साधन नहीं होने के कारण हर छोटी से छोटी चीज के लिए कड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है I
इसी प्रकार सीता को भी कड़ा परिश्रम करना पड़ा। जिस दर्द और तकलीफ से वो गुज़री, वह शब्दों मे बयान कर पाना असंभव है Iगरीबी के कारण सीता और उसके बच्चे को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी I सीता और उसके बच्चे को, दुनिया मे आने से पहले ही जान गंवानी पडी I
सूत्रों के मुताबिक गरीबी के कारण परिजन सीता का अस्पताल में दाखिला नहीं करा सके। इसके चलते गुरुवार को सीता को प्रसव पीड़ा होने के कारण परिजनों ने घर में एक नर्स को बुलाकर प्रसव कराया। प्रसव के दौरान काफी खतरा बना था। और कुछ ही पल में सीता और उसके बच्चे को इसकी कीमत चुकानी पड़ी। घर मे प्रसव कराने के दौरान नवजात की मौत हो गई I
इसके बाद सीता का अत्यधिक रक्तस्त्राव जो कि काफ़ी हो रहा था। जिसके बाद सीता की बिगड़ती हालत को देख उसे खटीमा के एक निजी अस्पताल मे भर्ती कराया गए। पर अफसोस सीता ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
सीता और विनोद की तीन संतानें और भी हैं। परन्तु चौथी संतान को जन्म देते वक्त सीता की दर्दनाक मौत हो गई। सीता का परिवार काफी गरीब हैं जिसके चलते परिजन सीता को समय से अस्पताल ले जाने में असमर्थ रहे और प्रसव के लिए नर्स को घर पर ही बुला लिया। जिसकी सीता और उसके बच्चे को बड़ी कीमत चुकानी पडी I सीता की मौत के बाद मासूम बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल है। और परिजनों में खुशी के बदले मातम छा गया Iसूत्रों के मुताबिक 28 साल की सीता अपने पति विनोद विश्वकर्मा के साथ टनकपुर के अंबेडकर नगर के वार्ड नंबर 3 में रहती थी। इस ख़बर के बाद क्षेत्र मे काफी दुख का माहौल है|
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