प्राइवेट नौकरी छोड़ कर अब कर रहे गांव में मशरूम का उत्पादन,आप भी इनका हौसला बड़ाइए

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Himanshu rawat self employment in rudraprayag

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका एक बार फिरसे हमारी वेबसाइट दैनिक सर्किल में।आज हम आपको ऐसी कहानी से रूबरू करवाएँगे जिसे पढ़कर आपको भी गर्व होगा इस शक्श की काबिलियत पर। आपको प्रोत्साहन मिलेगा इस कहानी को पढ़कर आप मात्र इसे एक कहानी न समझे बल्कि इनसे कुछ सीखें।

दोस्तों इस दुनिया में हर कोई आदमी कम से कम मेहनत करके ज्यादा से ज़्यादा पैसा कमाना चाहता है। लेकिन कई ऐसे लोग होते हैं जो अपनी मेहनत के दम पर सबको चौंका देते हैं। मुसीबत के समय को उपयोगी समय में कैसे तब्दील करना है ये हम सीख सकते हैं। उत्तराखंड में रहने वाले हिमांशु और उनके भाई से जिन्होंने 12वीं के पेपर दिए हैं। बता दें कि उत्तराखंड से अनेकों लोग अपनी देवभूमि को अच्छी तरह से जान रहें हैं। ये देवभूमि को आगे ले जाने का प्रयास कर रहें है। जो अपने लिए तो काम कर ही रहें हैं बल्कि साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी चरम पर पहुंचाने पर कार्य कर रहें है।

बता दें हिमांशु पहले एक प्राइवेट नौकरी करते थे जिसमें उनको अपनी आवश्कताओं औऱ घर के खर्चों को सही ढंग से चलाने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाता था। फिर इन्होंने कुछ अलग करने की ठानी। इन्होंने हाल ही में अपने गाँव में मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया है। जिसमें इनको उम्मीद है कि इनको इसका लाभ मिल पाएगा। अब आगे यह देखते हैं कि क्या इनकी मेहनत रंग लाएगी या फिर कुछ और मंज़ूर होगा। आगे पढिये

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दोस्तों पहले हिमांशु एक प्राइवेट नौकरी करते थे वे चाहते तो इसी काम को कर सकते थे लेकिन कहते हैं ना जो कुछ अलग ठान लेता है वह ही एक दिन अलग पहचान बना लेता है। इस मशरूम उत्पादन में इनका साथ दे रहे हैं इनके भाई अमर जी हां दोस्तों अमर इनके छोटे भाई हैं जिन्होंने अभी 12वीं के पेपर दिए है। और अब अमर इनके साथ हाथ बटा रहें है।

भोलेनाथ की तपस्थली भूमि में बसा है हिमांशु का गाँव। बता दें कि इनके गाँव का नाम महेड़ कांडई दशज्युला है। जो रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह गाँव प्राकृतिक सुंदरता से भी भरपूर है। जो दिखने में काफी खूबसूरत भी है। और अब अमर औऱ उनके बड़े भाई द्वारा यहां मशरूम उत्पादन का काम शुरू करके आत्म निर्भर बनने पर जोर दिया जा रहा है। दोस्तों इतना ही नहीं ये दोनों भाई आर्डर किये जाने पर फ्री डिलीवरी करते हैं।

बता दें कि अभी इनका यह उद्योग अभी नया नया है। इस कोरोना काल में यह गाँव लौटे औऱ मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया अगर ये निरन्तर लगन शील होकर काम करेंगे तो शायद मशरूम गर्ल दिव्या रावत की तरह यह भी एक नई पहचान के रूप में सामने आये दोस्तों हम लोगों को इनका साथ देना चाहिए चाहे किसी भी माध्यम से हो क्योंकि उत्तराखंड में रोजगार के साधन न के बराबर हैं और अगर हम ऐसे लोगों का साथ दें इनके साथ कॉम्पटीशन करके अपने अलग ही उद्योग खोले तो निश्चित रूप से पिछड़ते उत्तराखंड की रूप रेखा को बदला जा सकता हैं। क्योंकि उत्तराखंड में नेता आते रहेंगे और जाते रहेंगे लेकिन विकास न के बराबर होगा इसलिए यदि हम अपने बारे मे सोचेंगे उत्तराखंड में ही उद्योग स्थापित करेंगे तो हमको औऱ देवभूमि को काफी फायदा होगा।

सहयोग कर्ता कफोला मुन्ना भाई जिन्होंने हमको इनसे रूबरू करवाया हम इनका भी धन्यवाद करते है। भगवान कार्तिक स्वामी इनपर सदैव अपनी कृपा बनाए रखे।

दोस्तो भारत के तमाम पिछड़े गांव है जहां कोई भी मीडिया नहीं पहुंचा वहां की खबरों को देशवासियों तक पहुंचना हमारा काम है,आप भी हमारा हौसला बड़ाईए और हमको गूगल न्यूज़ पर आज ही फॉलो करें….Dainik Circle News par

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