हम बचपन से ही सुनते हुए आए हैं कि पढ़ाई करने की कोई उम्र नहीं होती और पढ़ाई करना कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए. क्योंकि पढ़ने से हमेशा हमें कुछ नया ही सीखने को मिलता है. बहुत बार हमने सुना है कि बड़ी-बड़ी उम्र के लोग भी 10वीं और 12वीं की परीक्षा दे रहे हैं.
क्योंकि जब उनकी पढ़ने की उम्र थी तो घर की परिस्थितियों के कारण वहां पढ़ाई नहीं कर पाई. ऐसी बहुत सारी कहानियां हम अपने आसपास से सुनते हुए आ रहे हैं. ऐसी ही एक कहानी उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले से आ रही है. जहां 40 साल की मां अपने बेटे के साथ दसवीं की परीक्षा देने जा रही है.
खबर ये है कि उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले की रहने वाली गुड्डी देवी अपने बच्चों के साथ बैठकर दसवीं की परीक्षा दे रही है. गुड्डी देवी ने आठवीं की परीक्षा साल 1996 में पास की थी. मगर उसके बाद घर की जिम्मेदारी और परिस्थितियों के कारण वह आगे नहीं पढ़ पाई और उसके बाद उनकी शादी हो गई. जिसके बाद 20 साल से वह पढ़ाई से बिल्कुल दूर है. मगर उनके अंदर जो पढ़ाई की ललक है वह अभी तक जिंदा है. अब वहां अपने दोनों बच्चों और अपने पति के सहयोग से दोबारा से दसवीं की परीक्षा दे रही है.
गुड्डी देवी का हिंदी का पेपर अच्छा गया है और विज्ञान की परीक्षा की वो जमकर तैयारी कर रही है. चमोली नंदा नगर के राजकीय आदर्श इंटर कॉलेज बांजबगड़ में उनका परीक्षा केंद्र है. गुड्डी देवी की यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणादायक है जिन्होंने अपनी पढ़ाई को अपने घर की जिम्मेदारी व मजबूरी के कारण छोड़ दिया था.








