जहां समय के साथ साथ पर्वतीय जिलों के सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधरनी चाहिए,वहीं धीरे धीरे यह और भी खराब होते हुए नजर आ रही है।और इसी वजह से यहां छात्र छात्राओं की संख्या कम हो रही है जिसकी वजह से अब सरकारी स्कूल बंद हो रहे है।इसी से जुड़ी आज की खबर रुद्रप्रयाग जिले से आ रही है। यहां छात्र संख्या 10 से कम होने के कारण कुल 87 स्कूल बंद होने की कगार पर है।इस समय शिक्षा विभाग द्वारा इन विद्यालयों की सूचना शिक्षा निदेशालय को भेज दिया गया है।
यह पहली बार नहीं है,इससे पहले भी एक दशक में इसी जिले में यही कारण होने से करीब 46 प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूल बंद हुए।वहीं इस समय यहां 128 जूनियर हाई स्कूल एवं 526 प्राथमिक स्कूल संचालित किए जा रहे हैं।इन स्कूलों में छात्र संख्या 10 से कम है।
शिक्षा विभाग के मानकों के मुताबिक जिन स्कूलों में 10 से कम छात्र हैं उनका संचालन बंद कर उन्हे आसपास के विद्यालयों में विलय किया जाता है।वहीं वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2022-23 में रुद्रप्रयाग जनपद की बात की जाए तो यहां कुल 77 राजकीय प्राथमिक और 10 जूनियर हाई स्कूल ऐसे है जिनमे छात्र संख्या 10 से कम है।अब इन स्कूलों को बंद करने की कवायद शुरू की गई है।
बता दे कि सरकारी स्कूलों के बंद होने के कई कारण है जैसे सरकारी स्कूलों में शिक्षकों तथा सुविधाओं की कमी,निजी स्कूलों में पढ़ाने की प्रतिस्पर्धा, शैक्षणिक भवनों की जीर्ण-शीर्ण हालत आदि।ऊपर दिए गए आंकड़े तो केवल रुद्रप्रयाग जनपद के हैं लेकिन प्रदेश के बहुत से जिलों में सरकारी विद्यालयों की स्थिति इसी तरह की बनी हुई है।वहीं सरकारी विद्यालयों में पढ़ाने वाले बहुत से शिक्षक बच्चों को अपने निजी विद्यालय में पढ़ा रहे है।