कुछ समय पहले आपने हरिद्वार के गलियारों में छात्र संघ उपाध्यक्ष रही हंसी को एक भिखारिन की जिंदगी जीते हुए जरूर सुना होगा। हंसी का परिवार होते हुए भी वो एक लावारिश की जिंदगी काट रही थीं।काफी समय से बीमारी के चलते आखिर में हंसी जिंदगी से जंग हार गई ,और बीते शुक्रवार को हंसी का बीमारी के चलते निधन हो गया।
हंसी मूल रूप से अल्मोड़ा जनपद की सोमेश्वर क्षेत्र के रणखिला गांव की रहने वाली थी। हंसी के तेज तर्रारदार अंग्रेजी बोलने और एक भिखारिन की तरह रहने के बाद मीडिया मे खूब चर्चा में आई थी।
बता दे की हंसी ने कुमाऊं विश्वविद्यालय से दो विषयों में एम ए किया है। साथ ही वे अपने कॉलेज के समय में छात्रा उपाध्यक्ष भी रही थी। और वर्ष 2002 में हंसि ने अल्मोड़ा विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव भी लड़ा था हालांकि इसमें उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई थी।
इसके आगे भी हंसी का जीवन अच्छे से व्यतीत हो रहा था ।वर्ष 2011 में हंसी ने शादी कर ली । हंसी के दो बच्चे भी हैं लेकिन कुछ समय बाद ससुराल पक्ष के साथ आपसी झगड़ों के कारण वह मजबूरन ससुराल छोड़कर मायके आ गई लेकिन मायके वालों ने भी हंसी साथ नहीं दिया जिसके बाद हंसि ने हरिद्वार सड़कों पर रहकर भिखारी का जीवन अपना लिया हनसी के साथ उसका 8 वर्षीय बेटा भी फुटपाथ पर ही रहता है हंसी की एक बेटी भी है जो अपनी नानी के साथ रहती है।
काफी समय से बीमारी के चलते हंसी ने बीते शुक्रवार को दम तोड़ दिया उनकी बीमारी की खबर मीडिया में आने के बाद हंसी के इलाज के लिए कई नेता भी आगे आए जिसमें रेखा आर्य ने भी हंसी के इलाज के लिए आगे हाथ बढ़ाया था काफी समय से हंसी अस्पताल में भर्ती थी और उनका इलाज चल रहा था लेकिन हंसी के घर से कोई भी उसको ना तो कभी मिलने आया और ना ही कभी उसकी कोई मदद की।
समाजसेवी भोला शर्मा ने हंसी की मृत्यु की खबर उसके परिवार तक भी पहुंचाई लेकिन तभी भी परिवार से कोई हंसी की अंतिम संस्कार के लिए भी नहीं आया जिसके बाद भोला शर्मा ने ही हंसि को अंतिम विदाई दी और उसका अंतिम संस्कार किया साथ ही अब हंसी की 8 वर्षीय बेटे को भी अपने साथ रख लिया है।